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SGPGI में भर्ती प्रक्रिया की ऑडिट के लिए डॉक्टर्स ने सीएम को लिखा पत्र - पीजीआई के डॉक्टर

पीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. डॉक्टरों का कहना है कि कई मरीज कोविड संक्रमण से आशंका ग्रस्त हैं, जिनको भर्ती किया जा रहा है. जिसके कारण कई जरूरतमंद मरीजों को बेड सुलभ नहीं हो पा रहा है.

एसजीपीजीआई.
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Published : Apr 27, 2021, 4:46 AM IST

लखनऊ: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के रेजिडेंट डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर भर्ती की प्रक्रिया की भी सख्ती से ऑडिट कराए जाने की मांग की है. डॉक्टरों ने कहा है कि जिनको भर्ती कर इलाज किए जाने की जरूरत है, उन्हें ही भर्ती किया जाए.

आशंका ग्रस्त मरीजों को भर्ती होने से रोका जाए
एसजीपीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आकाश माथुर और महासचिव डॉ. अनिल गंगवार द्वारा मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में देखने में आया है कि कई मरीज कोविड संक्रमण से आशंका ग्रस्त हैं, जिनको भर्ती किया जा रहा है. जिसके कारण कई जरूरतमंद मरीजों को बेड सुलभ नहीं हो पा रहा है.

डिस्चार्ज पॉलिसी में बदलाव और एकरूपता लाने का सुझाव
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब डिस्चार्ज पॉलिसी में बदलाव किए जाने, साथ ही इसमें एकरूपता लाए जाने की जरूरत है. लक्षण रहित होते ही मरीजों को डिस्चार्ज किया जाए और संस्थान के स्तर पर लगातार ऑडिट के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाए कि डिस्चार्ज पॉलिसी का कड़ाई से पालन हो रहा है या नहीं.

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सिर्फ जांच के लिए भर्ती करना उचित नहीं
डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है कि कुछ मरीजों को सिर्फ जांच कराने के लिए भर्ती किया जाता है, जो कि उचित नहीं है. कोविड अस्पताल में एक पृथक काउंटर बनाकर ऐसी व्यवस्था की जा सकती है कि सिर्फ जांच के लिए किसी को भर्ती न किया जाए. एसोसिएशन का मानना है कि निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही डिस्चार्ज किया जाना संसाधनों का अपव्यय है. प्रथम निगेटिव रिपोर्ट आते ही मरीज को नॉन कोविड एरिया में शिफ्ट किया जा सकता है. घर जाकर आइसोलेट होने की इच्छा रखने वाले मरीजों को इसकी अनुमति दी जानी चाहिए.

डिस्चार्ज मरीज की ऑनलाइन पटल पर हो मॉनिटरिंग
आरडीए ने सुझाव दिया है कि ऐसे सभी मरीज जिनको डिस्चार्ज किया जा रहा है, लेकिन उन्हें मॉनिटरिंग की जरूरत है. उन्हें संस्थान के स्तर पर ऑनलाइन पटल पर जोड़कर मॉनिटर किया जा सकता है.

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