लखनऊ : बच्चा अगर बार-बार सर्दी-जुकाम की चपेट में आ रहा है तो इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें. डॉक्टर की सलाह लें, इलाज कराएं. इलाज में देरी से बच्चा सिर व गर्दन की हड्डी से जुड़ी गंभीर बीमारी केनियो वरस्टीब्रल (सीवी) जंक्शन की चपेट में आ सकता है. इसमें मरीज को हाथ व पैरों का लकवा हो सकता है. यह जानकारी लोहिया संस्थान में न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. डीके सिंह ने दी. लोहिया संस्थान के प्रेक्षागृह में हुई कार्यशाला में डॉ. डीके सिंह ने कहा कि 14 साल से छोटे बच्चों को बार-बार सर्दी-जुकाम हो रहा है. यह बैक्टीरिया संक्रमण की वजह से होता है. इससे गर्दन की नरम कोशिकाएं (सॉफ्ट टिशू) प्रभावित होते हैं. संक्रमण की वजह से लिगामेंट नरम पड़ जाती हैं, जो खिसक कर सिर के भीतर में पहुंचने लगती हैं. जिससे मरीज को लकवा हो सकता है. हाथ और पैर बेजान हो जाते हैं.
Do not ignore cold and cough in children : आपके लाडले को अगर बार-बार हो रहा है सर्दी जुखाम तो करें यह उपाय
अगर आपके बच्चा बार-बार सर्दी-जुकाम (Do not ignore cold and cough in children) की चपेट में आ रहा है तो इसको कतई नजरअंदाज न करें. इलाज में देरी से बच्चा सिर व गर्दन की हड्डी से जुड़ी गंभीर बीमारी केनियो वरस्टीब्रल (सीवी) जंक्शन का शिकार हो सकता है.
डॉ. डीके सिंह ने बताया कि लोहिया संस्थान में न्यूरो सर्जरी विभाग की ओपीडी में हर हफ्ते आठ से 10 बच्चे आ रहे हैं. हर महीने पांच से सात बच्चों के ऑपरेशन हो रहे हैं. उन्होंने कहाकि ऑपरेशन काफी जटिल होते हैं. क्योंकि गर्दन से सिर व दूसरे अंगों को खून पहुंचाने वाली अहम नसें होती हैं. जिन्हें बिना नुकसान पहुंचाए ऑपरेशन करना होता है. डॉ. कैफ ने कहा कि जो बच्चे सिर पर बोझा ढोते हैं. उन्हें भी सीवी जंक्शन बीमारी आसानी से घेर सकती है. लिहाजा बच्चों के सिर पर बोझा कम दें. अफसोस की बात है कि अभी भी लोग नासमझी में सिर पर बोझ उठा रहे हैं. नतीजतन गर्दन व सिर के साफ्ट टिशू को नुकसान पहुंचता है. इसकी वजह से बच्चों को गंभीर बीमारी हो रही है. लोहिया संस्थान की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला से तकनीक को आदान-प्रदान करने में मदद मिलती है. उन्होंने कहा कि लोहिया संस्थान में न्यूरो साइंस सेंटर जल्द ही स्थापित होगा. मरीजों सिर के गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा.
1000 डॉक्टर जुड़े ऑनलाइन : न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. राकेश सिंह ने कहा कि देश भर के 80 से अधिक विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. पहले दिन केजीएमयू एनॉटमी विभाग में कैडवरिक कान्फ्रेंस हुई. दूसरे दिन लाइव सर्जरी हुई. इसमें दो मरीजों के ऑपरेशन हुए. उन्होंने बताया कि दुनिया के करीब 1000 से अधिक डॉक्टर ऑनलाइन कार्यशाला से जुड़े रहे. डॉ. कुलदीप यादव ने बताया कि सिर की बीमारी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. डॉक्टर की सलाह पर तुरंत इलाज कराना चाहिए. सटीक इलाज से मरीज सामान्य जीवन जी सकता है.