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लाॅकडाउन में मोबाइल का अधिकाधिक उपयोग कहीं आपके लाडलों को कर ना दे बीमार

सिविल अस्पताल के नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. मोहम्मद अत्थर बताते हैं कि लगातार 4 से 5 घंटे अगर आप किसी लाइट वाली डिस्प्ले को देखते है तो आपकी आंखों की रोशनी कमजोर पड़ सकती है.

लाॅकडाउन में मोबाइल का अधिकाधिक उपयोग कहीं आपके लाडलों को कर ना दे बीमार
लाॅकडाउन में मोबाइल का अधिकाधिक उपयोग कहीं आपके लाडलों को कर ना दे बीमार

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Published : May 5, 2021, 3:47 PM IST

Updated : May 5, 2021, 3:58 PM IST

लखनऊ : कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए लॉकडाउन की शुरुआत हो चुकी है. पहले नाइट कर्फ्यू लगाया गया जिसके बाद शुक्रवार रात 8 बजे से सोमवार सुबह 7 बजे तक इसकी सीमा बढ़ा दी गयी. इसके बाद सीएम ने एलान किया कि हर सप्ताह शुक्रवार रात 8 बजे से मंगलवार सुबह 7 बजे तक लॉकडाउन रहेगा. लेकिन अब लॉकडाउन 10 मई तक बढ़ा दिया गया है.

इस बीच लोग अधिकांश समय घरों में रहकर सोशल नेटवर्किंग साइट का उपयोग कर रहे हैं. खासकर बच्चे दिन में तीन से चार घंटे विडियो गेम खेलने में लगा रहे हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि मोबाइल की लत से आंखें कमजोर होने के साथ ही मानसिक तनाव की शिकायत भी बढ़ जाती है. इससे बचना चाहिए.

लाॅकडाउन में मोबाइल का अधिकाधिक उपयोग कहीं आपके लाडलों को कर ना दे बीमार

आंखों पर पड़ता है गहरा प्रभाव

सिविल अस्पताल के नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. मोहम्मद अत्थर बताते हैं कि लगातार 4 से 5 घंटे अगर आप किसी लाइट वाली डिस्प्ले को देखते है तो आपकी आंखों की रोशनी कमजोर पड़ सकती है. खासकर बच्चों की आंखों की रेटिना पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. बताया कि फोटो खिंचवाने के लिए जब फ्लैश लाइट अचानक से जलती है तो आंखें चौंधिया जातीं हैं. दो सेकेंड के लिए सब कुछ धुंधला सा दिखाई पड़ता है. जरा सोचिए लगातार जब आप मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं तो आपकी आंखों का क्या हाल होगा? जब बड़ों का ये हाल है तो बच्चों की आंखें तो ज्यादा सेंसिटिव होतीं हैं. मानसिक तौर पर भी बच्चों का दिमाग कमजोर होने लगता है. इसकी वजह से वह पढ़ाई में कमजोर हो जाते हैं.

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से रहें दूर

चिकित्सकों का मानना है कि आंखें दूर और नजदीक की चीजें देखने में भी सक्षम होती हैं. लगातार नजदीक का देखने से बच्चों की आंखें नजदीक की चीजें देखने की आदी हो रही हैं. इससे दूर की नजर कमजोर हो रही हैं. बच्चों को इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की चपेट में आने से बचाने के लिए उन्हें रोजाना कम से कम एक घंटा बाहर समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. लेकिन इस समय कोरोना के कारण लॉकडाउन है तो बच्चों से बातें करें. छत या घर के आंगन पर ले जाकर उनके साथ खेलें. इससे बच्चों का और आपका भी समय कट जाएगा. खेलकूद करने के बाद भूख भी अच्छी लगती है. हमेशा से खेलकूद सेहत के लिए फायदेमंद रहा हैं.

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लॉकडाउन में बच्चों को सुनाएं कहानी

इन विषम परिस्थितियों में जब बच्चों को आप कही बाहर नहीं भेज सकते तो आप समय बिताने के लिए बच्चों को कहानी सुनाएं. बच्चों को कहानी सुनना पसंद होता है. आप उन्हें इमेजिनेशन वाली कहानी सुनाने, आंखें बंदकर के कहानी को महसूस करना सिखाइये. इससे बच्चों की इमेजिनेशन क्षमता बढे़गी. उन्हें कहानी के जरिये नई-नई चीजें सीखने का मौका मिलेगा. साथ ही बच्चों के साथ आपका भी लॉकडाउन में समय बीत जाएगा.

बच्चों को कराएं योग, स्वयं भी करें

कोरोना महामारी का समय है. ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती सभी के लिए ये भी है कि कैसे खुद को स्वस्थ बनाएं रखें और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूर रहे. इसके लिए जरूरी है कि आप बच्चों को योग सिखाएं और रोजाना सुबह बच्चों के साथ योग करें. योग में अनुलोम विलोम योग अवश्य शामिल करें. साथ ही 'ऊं' का उच्चारण करें. इसमें आप देर तक सांस को रोकते है फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हैं.

ऐसे रखें अपनी आंखों का ख्याल

- सुबह उठने और रात को सोने से पहले बंद आंखों पर पानी के छींटे मारें. इससे आंखों को आराम मिलेगा.
- पलकें पूरी झपकाएं.
- खुली आंखों में पानी के छींटे मारने से इनफेक्शन (संक्रमण) होने का ज्यादा खतरा हो सकता है.
- लगातार कंप्यूटर पर काम करने के बाद दूर का कुछ देखने की कोशिश करें. पांच से 10 सेंकेंड के लिए आंखें बंद करें.
- जलन होने और पानी बहने की स्थिति में आखों को मलें नहीं बल्कि नजदीकी नेत्ररोग विशेषज्ञ से जांच करवाएं.

Last Updated : May 5, 2021, 3:58 PM IST

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