लखनऊ : कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए लॉकडाउन की शुरुआत हो चुकी है. पहले नाइट कर्फ्यू लगाया गया जिसके बाद शुक्रवार रात 8 बजे से सोमवार सुबह 7 बजे तक इसकी सीमा बढ़ा दी गयी. इसके बाद सीएम ने एलान किया कि हर सप्ताह शुक्रवार रात 8 बजे से मंगलवार सुबह 7 बजे तक लॉकडाउन रहेगा. लेकिन अब लॉकडाउन 10 मई तक बढ़ा दिया गया है.
इस बीच लोग अधिकांश समय घरों में रहकर सोशल नेटवर्किंग साइट का उपयोग कर रहे हैं. खासकर बच्चे दिन में तीन से चार घंटे विडियो गेम खेलने में लगा रहे हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि मोबाइल की लत से आंखें कमजोर होने के साथ ही मानसिक तनाव की शिकायत भी बढ़ जाती है. इससे बचना चाहिए.
आंखों पर पड़ता है गहरा प्रभाव
सिविल अस्पताल के नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. मोहम्मद अत्थर बताते हैं कि लगातार 4 से 5 घंटे अगर आप किसी लाइट वाली डिस्प्ले को देखते है तो आपकी आंखों की रोशनी कमजोर पड़ सकती है. खासकर बच्चों की आंखों की रेटिना पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. बताया कि फोटो खिंचवाने के लिए जब फ्लैश लाइट अचानक से जलती है तो आंखें चौंधिया जातीं हैं. दो सेकेंड के लिए सब कुछ धुंधला सा दिखाई पड़ता है. जरा सोचिए लगातार जब आप मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं तो आपकी आंखों का क्या हाल होगा? जब बड़ों का ये हाल है तो बच्चों की आंखें तो ज्यादा सेंसिटिव होतीं हैं. मानसिक तौर पर भी बच्चों का दिमाग कमजोर होने लगता है. इसकी वजह से वह पढ़ाई में कमजोर हो जाते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से रहें दूर
चिकित्सकों का मानना है कि आंखें दूर और नजदीक की चीजें देखने में भी सक्षम होती हैं. लगातार नजदीक का देखने से बच्चों की आंखें नजदीक की चीजें देखने की आदी हो रही हैं. इससे दूर की नजर कमजोर हो रही हैं. बच्चों को इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की चपेट में आने से बचाने के लिए उन्हें रोजाना कम से कम एक घंटा बाहर समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. लेकिन इस समय कोरोना के कारण लॉकडाउन है तो बच्चों से बातें करें. छत या घर के आंगन पर ले जाकर उनके साथ खेलें. इससे बच्चों का और आपका भी समय कट जाएगा. खेलकूद करने के बाद भूख भी अच्छी लगती है. हमेशा से खेलकूद सेहत के लिए फायदेमंद रहा हैं.
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