लखनऊ: मथुरा जिले के निजी आईटीआई संस्थानों में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति में अनियमितता, भ्रष्टाचार और गबन के चर्चित मामले में मथुरा के जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी को निलंबित कर दिया गया है. इसके साथ ही, भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के अलावा सम्बंधित संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर कराई जाएगी. संबंधित आईटीआई कॉलेजों को शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति के लिए ब्लैक लिस्ट किया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस कार्रवाई की जानकारी बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट करके दी है.
50 से अधिक कालेजों में गड़बड़ी
मथुरा जिले के 50 से अधिक निजी आईटीआई कॉलेजों में हुए इस गड़बड़झाले के मामले में सीएम योगी के निर्देश पर जांच कराई गई थी. जांच समिति ने अलग-अलग तरीकों से छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर करीब 23 करोड़ रुपये गबन होने की बात पाई है. यही नहीं, दर्जन भर अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की पुष्टि भी हुई है.
विभागीय कार्रवाई के भी निर्देश
सीएम योगी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति के अनुरूप सभी दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों और संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर कराने के आदेश दिए हैं. जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं. मान्यताविहीन संस्थाओं में दाखिला लेने वाले छात्रों को परीक्षा में सम्मिलित करने के लिए स्टेट काउंसिल फ़ॉर वोकेशनल ट्रेनिंग, लखनऊ की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है, अब इनके खिलाफ भी जांच होगी.
जांच के बाद खुलासा
तीन सदस्यीय जांच समिति ने पाया कि 11 मान्यताविहीन शिक्षण संस्थानों में करीब 253.29 लाख का गबन हुआ, जबकि 23 कॉलेजों में पांच हजार से अधिक छात्रों ने कोर्स ही पूरा नहीं किया और उन्हें करीब 969 लाख की छात्रवृत्ति मिल गई. कई निजी आईटीआई कॉलेजों में स्वीकृत सीट के सापेक्ष करीब पांच हजार दाखिले अतिरिक्त कर लिए गए. इन्हें भी छात्रवृत्ति दिलाई गई. वहीं, 38 कॉलेजों में 100 से अधिक समान नाम, पिता का नाम और समान जन्म तिथि वाले फर्जी छात्रों को भी शुल्क प्रतिपूर्ति कराई गई. यही नहीं फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर भी छात्रों के दाखिले करने और उन्हें छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति कराने का काम भी हुआ. सीएम योगी ने अब सभी दोषियों के खिलाफ एफआईआर करने के आदेश दिए हैं.