लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों के बीच में चल रही तकरार खुलकर सामने आ गई. बीते सोमवार को लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) की जनरल बॉडी मीटिंग में जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई. नौबत हाथापाई तक पहुंच गई. जमकर हंगामा हुआ. हालांकि बाद में कुछ वरिष्ठ शिक्षकों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ.
यह है मामला
लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ में बीते कुछ महीनों से विवाद की स्थिति बनी हुई है. आलम यह है कि यह गुटबाजी शुरू हो गई है. शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. नीरज जैन के 62 साल बीते नवंबर-दिसंबर माह में पूरे हुए हैं. हालांकि, उनको अभी सत्र लाभ मिला हुआ है और वह बतौर शिक्षक कार्यरत हैं. वहीं, एक-दूसरे गुट ने डॉ. एए इस्लाही को कार्यवाहक अध्यक्ष घोषित कर दिया. इसको लेकर डॉ. नीरज जैन ने बीते दिनों हुई बैठक में आपत्ति भी उठाई थी, लेकिन उनकी आपत्ति को दरकिनार दिया गया. इस गुट ने डॉ. एए इस्लाही को कार्यवाहक अध्यक्ष घोषित कर दिया गया. इसको शिक्षक गलत ठहरा रहे हैं.
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लूटा महामंत्री के पत्र ने भड़काया विवाद
इसी बीच लूटा महामंत्री ने बीते दिनों वित्त अधिकारी को एक पत्र लिखकर इस सत्र के बीच सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों से सदस्यता शुल्क ना लेने की बात कही. इस साल करीब 17 टीचर सेवानिवृत हो रहे हैं. सत्र लाभ मिलने के कारण उनके पास 30 जून तक का समय है. उसके पहले ही सदस्यता समाप्त करने से संबंधित पत्र को लेकर वरिष्ठ शिक्षकों में काफी नाराजगी है.
जीबीएम में हुआ बवाल
लूटा की वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल फरवरी के पहले सप्ताह में समाप्त हो चुका है. सोमवार को स्टाफ क्लब में लूटा की जनरल बॉडी मीटिंग बुलाई गई. मीटिंग में नए चुनाव की घोषणा की जानी थी. इसी दौरान डॉ. नीरज जैन की ओर से डॉ. इस्लाही द्वारा कार्यकारी अध्यक्ष होने का दावा करने पर आपत्ति जताई गई. उन्होंने लूटा की नियमावली का हवाला देते हुए इसे गलत ठहराया. इस पर विवाद शुरू हो गया.
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डॉ. नीरज जैन ने बताया कि कुछ लोग नियमों की गलत व्याख्या करके संघ में मनमानी करने पर लगे हुए हैं. नियमानुसार, उन्हें पद से नहीं हटाया जा सकता है. लेकिन, अगर कोई फैसला लिया भी था तो उसे जनरल बॉडी मीटिंग में रखा जाना चाहिए था. यह संघ अपने नियमों से चलता है. यह किसी भी सूरत में मनमानी बर्दाश्त नहीं होगा. उधर, महामंत्री डॉक्टर विनीत वर्मा का कहना है कि लूटा में प्रोफेसर राजीव मनोहर को नया चुनाव अधिकारी बनाया गया है. इसके अलावा कुछ भी नहीं हुआ.