लखनऊ:उत्तर प्रदेश में नए डीजीपी के लिए राज्य सरकार द्वारा भेजा गया प्रस्ताव संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने वापस लौटाते हुए पूछा था कि मुकुल गोयल को डीजीपी के पद पर न्यूनतम 2 वर्ष की अवधि पूरी करने से पहले हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन किया गया या नहीं? यही नहीं मुकुल गोयल को अचानक क्यों हटाया गया था. इसके जवाब में अब गृह विभाग ने भी अपना जवाब भेजते हुए बताया है कि मुकुल गोयल पर पहले से ही भर्ती घोटाले के आरोप थे और कई बार शिथिलता के चलते उन्हें सस्पेंड किया जा चुका था. यही नहीं मुकुल गोयल की कार्यशैली डीजीपी के पद के लायक नहीं थी.
गृह विभाग ने यूपीएससी को जवाब भेजते हुए लिखा है, 'डीजीपी चयन में सिर्फ सीनियरिटी ही आधार नहीं होती है, बल्कि अधिकारी की कार्यशैली और कार्यक्षमता भी मायने रखती है. पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल 2006-07 में भर्ती घोटाले के भी आरोपी रहे थे. मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान मुकुल गोयल एडीजी एलओ थे, उन्हें हटाया गया था. सहारनपुर में कप्तान रहते उन्हें सस्पेंड भी किया गया था.'
दरअसल, डीजीपी के नाम के चयन के लिए राज्य सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को वापस भेजते हुए यूपीएससी ने पूछा था कि डीजीपी की नियुक्ति के लिए 22 सितंबर 2006 को पारित सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में 29 जून 2021 को यूपीएससी में बैठक हुई थी और तीन वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारियों का पैनल राज्य सरकार को भेजा गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में नियुक्त किए गए डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो वर्ष होना चाहिए था.