लखनऊ:प्रशिक्षण की मांग को लेकर मल्टी परपच हेल्थ वर्कर (एमपीडब्ल्यू) का गुस्सा परिवार कल्याण महानिदेशालय पर फूटा. जहां संविदा एमपीडब्ल्यू ने महानिदेशालय को घेर लिया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने अफसरों के खिलाफ नारेबाजी शुरू की. वहीं, अफसरों को प्रशासनिक भवन से बाहर निकलने से रोक दिया गया. पुलिस के समझाने के बाद भी प्रदर्शनकारियों ने सत्याग्रह आंदोलन खत्म नहीं किया.
एमपीडब्ल्यू एसोसिएशन के आह्वान पर मंगलवार से सत्याग्रह आंदोलन शुरू हुआ. इसमें प्रदेश भर से सैकड़ों की संख्या में संविदा एमपीडब्ल्यू परिवार कल्याण महानिदेशालय में जुटे. भीड़ की वजह से सुबह से परिसर में अफरा-तफरी मची रही. बारिश में भी आंदोलन ठंडा नहीं पड़ा. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी. तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.
उप्र एमपीडब्ल्यू एसोसिएशन के प्रदेश संरक्षक विनीत मिश्र के मुताबिक 2011 में 3500 संविदा पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता एमपीडब्ल्यू की भर्ती की गई थी. संक्रामक रोग के लिहाज से संवेदनशील इलाकों में तैनाती दी गई थी. हमें टीबी, कुष्ठ, मलेरिया, हेपेटाइटिस बी, सी, डेंगू, हैजा, कालरा, डायरिया समेत दूसरे रोगियों की जांच व संक्रमण रोकने में लगाया गया था. खून का नमूना एकत्र करने की भी जिम्मेदारी दी गई थी. बाद में संविदा खत्म कर दी गई और हम लोग बेरोजगार हो गए.
विनीत मिश्र के मुताबिक अब सरकार ने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में लगभग 2,500 एमपीडब्ल्यू के पदों का सृजन किया है. इनमें इंटरमीडियट संग एमपीडब्ल्यू का एक वर्षीय प्रशिक्षण की अर्हता तय की. प्राइवेट क्षेत्र के किसी भी संस्थान में यह प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है. सिर्फ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ही प्रशिक्षण प्रदान कर सकता है. ऐसे में संविदा पर काम कर चुके एमपीडब्ल्यू को प्रशिक्षण प्रदान किया जाए. अनुभव के आधार पर प्रशिक्षण के लिए चयन किया जाए. ताकि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तैनाती के लिए आवेदन कर सकें.
मीडिया प्रभारी सैयद मुर्तजा के मुताबिक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहतर एमपीडब्ल्यू की नियुक्ति 2011-12 में मात्र 10 दिवसीय प्रशिक्षण देकर की गई. जबकि भारत सरकार की गाइडलाइन में एक वर्ष का प्रशिक्षण का प्रावधान है. प्रशिक्षण दिलाकर वेलनेस सेंटर में नौकरी प्रदान की जाए. वेलनेस सेंटर में एमपीडब्ल्यू की तैनाती के लिए भारत सरकार से बार-बार पत्र भेज रहा है. अभी तक कुछ नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि विभाग में एमपीडब्ल्यू के पद पर कार्य कर चुके लोगों को परीक्षा से मुक्त किया जाए. इसके लिए लगातार अधिकारियों को पत्र दिया जा रहा है. उसके बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जिसके चलते मजबूरन ये कदम उठाया गया.
सैयद मुर्तजा के मुताबिक परिवार कल्याण महानिदेशक से वार्ता कराने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी गठित की गई. इसमें राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्र व उपाध्यक्ष धनंजय तिवारी और एसोसिएशन के विनीत मिश्रा, शुभम त्रिवेदी, भरतवीर प्रजापति रहे. वार्ता के बाद संगठन ने निर्णय लिया है की पेंडामिक स्थिति को देखते हुए संगठन ने सत्याग्रह आंदोलन को निरंतर चलाने का निर्णय लिया है. प्रतिदिन संगठन के 10-10 लोग महानिदेशक परिवार कल्याण में सत्याग्रह आंदोलन को आगे बढ़ाते रहेंगे.
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