लखनऊःराजधानी के सिविल अस्पताल में निदेशक का पध पिछले डेढ़ महीने से रिक्त है, जिसका खामियाजा अब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. पैथालॉजी में होने वाली जांचों के लिए बजट और जांचों के लिए जरूरी सामान (रीजेंट) खत्म हो चुके हैं. इतना ही नहीं, अगर हालात यही रहे तो अगले एक-दो दिनों में सभी रीजेंट खत्म होने से पूरी पैथालॉजी के काम ठप्प हो सकता है. अधिकारी भी मामले को लेकर कुछ बोल नहीं रहे हैं. आपको बता दें कि अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसके नंदा वर्तमान में निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
हजरतगंज स्तिथ डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में रोज़ाना तीन हजार से ज्यादा मरीज इलाज के लिये ओपीडी पहुंच रहें है. इसमें से डॉक्टर पांच-सात सौ मरीजो को खून की जांच लिख रहें है. इसके साथ ही यहां भर्ती और इमरजेंसी मरीजों को मिलाकर हर दिन एक हजार से ज्यादा मरीजों की खून से जुड़ी जांचें हो रही है. वहीं अस्पताल की पैथालॉजी में रिजेंट न के बाराबर बचे है. अस्पताल प्रशासन के पास इसे खरीदने का बजट भी खत्म हो गया है. वहीं निदेशक पद पर किसी की तैनाती न होने के कारण यहां शासन की तरफ से कोई बजट भी नहीं जारी किया जा रहा है. वहीं अस्पताल में लीवर प्रोफाइल की जांच में इस्तेमाल होने वाला रीजेंट पूरी तरह से ख़त्म हो चुका है. इसके साथ ही दिल के मरीजों की जांच में प्रयोग होने वाली एलडीएल, वीडीएल रीजेंट भी सिर्फ दो ही बचें है. वहीं कर्मचारियों का कहना है कि अगर रीजेंट नहीं आते है तो कुछ दिन बाद लैब में कोई भी जांच करने के लिए रीजेंट नहीं बचेगा.