लखनऊ: संगीन अपराधों के मामले दर्ज करने में लखनऊ पुलिस का गैर जिम्मेदाराना रवैया सामने आया है. पिछले दिनों कई ऐसे मामलों में लखनऊ पुलिस अपराधियों के साथ सांठगांठ में घिरी मिली. पुलिस शिकायत दर्ज करने के बजाय भुक्तभोगियों को टरकाती रही. कुछ मामलों में मानवाधिकार आयोग (Human rights commission) को हस्तक्षेप करना पड़ा.
कानून के तहत किसी भी घटना दुर्घटना के मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR ) दर्ज करवाने का अधिकार देश के हर नागरिक को दिया गया है. कानूनी अधिकार के तहत देश के प्रत्येक नागरिक को अपने साथ होने वाली किसी संज्ञेय या असंज्ञेय आपराधिक मामले की प्राथमिकी पुलिस के पास दर्ज कराने का अधिकार है. लेकिन बीते दिनों में लखनऊ पुलिस FIR दर्ज करने की बजाय कई मामलों में भुक्तभोगियों को टरकाती रही. कुछ मामलों में मानवाधिकार आयोग (Human rights commission) को हस्तक्षेप करना पड़ा. ऐसे ही कुछ मामलों पर एक नजर.
गैंग रेप पीड़िता की 18 घंटे बाद दर्ज हुई FIR : 18 साल की युवती के साथ ऑटो ड्राइवर और उसके साथी ने 15 अक्टूबर की शाम गैंगरेप किया. गैंग रेप करने के बाद बच्ची की बेरहमी से पिटाई की और तीन घंटे बाद उसे गोमतीनगर के हुसड़िया चौराहे पर फेंक कर चले गए. डरी और सहमी युवती पुलिस से मदद की गुहार लगाने पहुंची, लेकिन एफआईआर दर्ज करने के बाबत उसे एक थाने से दूसरे थाने के बीच टरकाया जाता रहा. पीड़िता अपने परिजनों के साथ लखनऊ के चार थाने गोमती नगर, हुसैनगंज, सुशांत गोल्फ सिटी व विभूति खंड थाने के चक्कर लगाती रही, लेकिन 18 घंटे तक उसकी प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकी. मामला तूल पकड़ने पर अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद आनन-फानन गैंग रेप का मुकदमा दर्ज किया गया.
इंस्पेक्टर ने दबंगों का दिया साथ, नहीं दर्ज की एफआईआर : कृष्णानगर (Krishna nagar) थाना क्षेत्र में वकीलों के झुंड द्वारा घर पर कब्जा करने की शिकायत पर पुलिस दबंगों के पक्ष में ही खड़ी नजर आई. पीड़ित शिकायत लेकर थाने पहुंचा तो इंस्पेक्टर ने उसे डांट डपट कर घर में कब्जा होने तक थाने में ही बैठाए रखा. इसके बाद पीड़ित की शिकायत पर सीएम के आदेश पर एक महीने बाद प्राथमिकी दर्ज की गई. इस मामले में सितंबर 2022 में आरोपी इंस्पेक्टर ने अपने ही खिलाफ एफआईदर्ज की. मामला चार अगस्त का था. आरोप था कि कृष्णानगर के रहने वाले दिनेश प्रताप सिंह के घर पर कब्जा करने की नीयत से वकील अभय यादव अपने करीब एक सौ साथियों के साथ घर पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं. इस मामले में पुलिस मौके पर पहुंचने के बाद दबंगों को रोकने के बजाय शिकायतकर्ता को ही थाने लेकर चली जाती है.