लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पीपीपी मॉडल के तहत डायलिसिस यूनिट की शुरुआत की गई थी. 22 पीपीपी मॉडल के तहत डायलिसिस यूनिट की शुरुआत हुई थी. इसके बाद हाल ही में 12 और जिला अस्पतालों में डायलिसिस यूनिट शुरू हुआ. मौजूदा समय में डायलिसिस के लिए मरीज सरकारी जिला अस्पताल में पहुंचते हैं. इसके अलावा बात अगर निजी अस्पताल में डायलिसिस की करते हैं तो वहां पर 10 से 15 लाख का खर्चा आ जाता है. सरकारी अस्पतालों में पीपीपी मॉडल के तहत डायलिसिस यूनिट संचालित हो रही है. राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में प्रदेश के अन्य जिलों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं.
प्रदेश में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप (पीपीपी) मॉडल पर डायलिसिस यूनिट का संचालन किया जा रहा है. गुर्दे के गंभीर मरीजों को उनके जिले में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. ताकि मरीजों को डायलिसिस के लिए दूसरे जिलों तक दौड़ न लगानी पड़े. गुर्दा मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. ऐसे में रोगियों को डायलिसिस की सुविधा मुहैया कराकर राहत प्रदान की जा रही है. स्वास्थ्य निदेशालय की डीजी हेल्थ डॉ. लिली सिंह ने बताया कि मरीजों की संख्या बढ़ने की दशा में आठ जनपदों में हीमोडायलिसिस बेड बढ़ाये जा रहे हैं.
डायलिसिस यूनिट में 109 बेड होंगे : कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, अम्बेडकर नगर, हाथरस, फिरोजाबाद, गाजीपुर, महाराजगंज व लखीमपुर खीरी जिला चिकित्सालय में 71 बेड पर मरीजों की डायलिसिस हो रही है. एक बेड पर एक दिन में तीन से चार मरीजों की डायलिसिस हो रही है. मरीजों का दबाव लगातार बढ़ रहा है. इन जनपदों में करीब 38 बेड बढ़ाए जा रहे हैं. डायलिसिस यूनिट में कुल 109 बेड होंगे. गुर्दा मरीजों के बेहतर इलाज के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं. जल्द से जल्द आठ जनपदों की डायलिसिस यूनिट में बेड बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. डायलिसिस यूनिट में पर्याप्त सफाई, आरओ सिस्टम को दुरुस्त रखनें का निर्देश दिया गया है.