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डीजीपी ओपी सिंह का कार्यकाल आज होगा पूरा, पहले सलामी, फिर विंटेज कार में होगी विदाई - ओपी सिंह

उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह का कार्यकाल आज यानी 31 जनवरी को समाप्त हो जाएगा. इस मौके पर उन्हें परेड ग्राउंड में सलामी दी जाएगी. वहीं सिग्नेचर बिल्डिंग में उन्हें परंरागत तरीक से विदाई दी जाएगी.

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डीजीपी ओपी सिंह को दी जाएगी विदाई.

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Published : Jan 30, 2020, 11:47 PM IST

Updated : Jan 31, 2020, 6:16 AM IST

लखनऊ: 31 जनवरी 2020 को उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह का कार्यकाल पूरा हो रहा है. इस मौके पर डीजीपी ओपी सिंह की ससम्मान विदाई समारोह का आयोजन किया जाएगा. सुबह 9 बजे डीजीपी ओपी सिंह को परेड ग्राउंड में सलामी दी जाएगी.

इसके बाद डीजीपी ऑफिस सिग्नेचर बिल्डिंग पहुंचेंगे, जहां पर डीजीपी ओपी सिंह को परंपरागत तरीके से विदाई दी जाएगी. डीजीपी ओपी सिंह की विदाई में सबसे खास बात 64 साल पुरानी 3 गियर की विंटेज कार है, जिसमें डीजीपी ओपी सिंह को बिठाकर विदाई दी जाएगी.

डीजीपी ओपी सिंह को दी जाएगी विदाई.

डीजीपी ओपी सिंह ने पूरा किया दो वर्षों का कार्यकाल
ओपी सिंह ने बतौर उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया डीजीपी के तौर पर 2 साल का कार्यकाल पूरा किया है. उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह का जन्म 2 जनवरी 1960 को हुआ था. ओपी सिंह 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के कार्यकाल पूरा करने के बाद ओपी सिंह को उत्तर प्रदेश पुलिस में बतौर डीजीपी जिम्मेदारी दी गई थी.

उत्तर प्रदेश के डीजीपी पद संभालने से पहले ओपी सिंह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसफ) के डीजी के पद पर तैनात थे. साथ ही डीजीपी ओपी सिंह राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक के तौर पर भी कार्य कर चुके हैं.

अपने कार्यकाल के दौरान डीजीपी ओपी सिंह ने उठाए कड़े कदम
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाए करने के लिए डीजीपी ओपी सिंह ने कई सख्त कदम उठाए. डीजीपी ओपी सिंह के निर्देशों के तहत ही उत्तर प्रदेश में ऑपरेशन एंटी रोमियो स्क्वायड, जीरो टॉलरेंस नीति, ऑपरेशन क्लीन चलाए गए. डीजीपी ओपी सिंह के कार्यकाल के दौरान 3000 से अधिक एनकाउंटर हुए, जिनमें 70 से अधिक कुख्यात अपराधी मारे गए.

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नहीं हुआ कोई भी सांप्रदायिक दंगा
डीजीपी ओपी सिंह के कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश में कोई भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ. हालांकि, नागरिकता संशोधन एक्ट 2019 के विरोध में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आपराधिक हिंसा देखने को मिली. साथ ही डीजीपी ओपी सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान अयोध्या विवाद पर फैसला, कुंभ के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने में कामयाबी हासिल की. चुनौतियों की बात करें तो डीजीपी ओपी सिंह के सामने राजधानी लखनऊ में हुए कमलेश तिवारी हत्याकांड, सोनभद्र नरसंहार, मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं चुनौतीपूर्ण बनी रही.

अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश रहा आगे
डीजीपी ओपी सिंह ने कार्यभार संभालने के बाद भले ही कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए तमाम फैसले लिए हों, लेकिन इन फैसलों के बावजूद भी उत्तर प्रदेश में अपराधों की संख्या में कमी नहीं आई. आंकड़ों की बात करें तो एनसीआरबी की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के तहत उत्तर प्रदेश में वर्ष 2018 में 5945 वर्ष 2017 में 56011 सिर्फ महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध रिकॉर्ड किए गए. वर्ष 2017 के आंकड़ों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में 3,10,084 आईपीसी के मामले दर्ज किए गए.

Last Updated : Jan 31, 2020, 6:16 AM IST

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