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डीजी ने कहा-बिना फायर NOC के अस्पतालों को सील करो, अधिकारियों ने दी सिर्फ नोटिस

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Published : Mar 21, 2023, 5:35 PM IST

उत्तर प्रदेश के नर्सिंग होम और अस्पतालों में फायर एनओसी की जांच में किसी अस्पताल पर सील करने की कार्रवाई नहीं हो सकी है. इन आंकड़ों पर फायर और स्वास्थ्य विभाग ने अपने अपने तर्क देकर पल्ला झाड़ लिया है. जबकि हकीकत केवल राजधानी में ही कई नर्सिंग होम और अस्पतालों की फायर एनओसी पेंडिंग हैं.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में चल रहे नर्सिंग होम और अस्पतालों में फायर एनओसी है कि नहीं, इसको जांचने और कार्रवाई करने के लिए तीन दिन का अभियान चला. डीजी फायर ने निर्देश दिए कि बिना एनओसी के चल रहे अस्पतालों को सील कर उसकी संख्या बताई जाए. प्रदेशभर में सैकड़ों अस्पताल बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं. बावजूद इसके 11 से 14 मार्च चले इस अभियान के दौरान फायर विभाग एक भी अस्पताल को सील नहीं कर सका. विभागीय सूत्रों की मानें तो इसमें कई पेंच हैं. इसके कारण सीलिंग की कार्रवाई करना आसान नहीं है.

उत्तर प्रदेश के डीजी फायर अविनाश चंद्रा ने बीते दिनों पूरे राज्य में चल रहे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में मॉक ड्रिल कर फायर सेफ्टी की जांच करते हुए एनओसी जांचने के निर्देश दिए थे. यही नहीं जिस अस्पताल में फायर एनओसी न हो उन्हे सील करने के लिए भी कहा गया था. 11 मार्च से लेकर 14 मार्च तक चले इस अभियान के दौरान कितने अस्पतालों को सील किया गया. उसकी लिस्ट भी मांगी गई थी. लिहाजा राज्य के सभी जिलों में मुख्य अग्निशमन अधिकारियों ने अभियान चला कर अस्पतालों की चेकिंग की और वहां मौजूद फायर सेफ्टी का निरक्षण किया. तीन दिनों हुई मॉक ड्रिल और जांचे गए अस्पतालों की एक लिस्ट 15 मार्च को डीजी फायर को सौंप दी गई, लेकिन इसमें एक भी अस्पताल को सील करने की संख्या मौजूद नहीं थी. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जब राजधानी समेत सभी जिलों में अधिकतर नर्सिंग होम और अस्तपाला बिना फायर एनओसी लिए ही संचालित हो रहे हैं तो सील क्यों नहीं किए गए.


महज 30 फीसदी के पास NOC फिर भी नहीं हुए सील : आंकड़ों पर गौर करें तो राजधानी में कुल 727 निजी व सरकारी अस्पताल और नर्सिंग होम हैं. 11 से 14 मार्च तक राजधानी के महज 68 अस्पतालों में ही मॉक ड्रिल व फायर सेफ्टी की जांच की गई. इनमें किसी भी अस्पताल को न ही सील किया गया और न ही इन्हें किसी प्रकार को नोटिस दी गई. जब कि वर्ष 2018 से अब तक राजधानी के 430 नर्सिंग होम और अस्पतालों ने फायर एनओसी के लिए आवेदन किया है. जिसमें महज 144 को एनओसी दी गई है और जबकि 99 के आवेदन खारिज कर दिया गए. वहीं 430 ऐसे हैं जिनके कुछ पेंडिंग में हैं और कुछ को प्री एनओसी दी गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जिन 99 अस्पतालों की एनओसी खारिज की गई है. उन पर इस अभियान के दौरान कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकी.

फायर-स्वास्थ्य विभाग के बीच फंसा मामला : राजधानी के मुख्य अग्निशमन अधिकारी मंगेश कुमार बताते हैं कि अभियान के दौरान हमने 68 अस्पतालों का निरक्षण किया है. इनकी रिपोर्ट का इंतजार है, जिनमें कमियां होंगी उन्हें नोटिस देकर 15 दिनों में जवाब मांगा जाएगा. अस्पतालों और नर्सिंग होम को लाइसेंस मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) देते हैं. ऐसे में उन्हें देखना होगा कि जिन अस्पतालों में फायर एनओसी न हो उन्हें लाइसेंस दिया ही न जाए. इसलिए सीएमओ को भी पत्र भेजा जाएगा. एसीएमओ अखंड प्रताप सिंह बताते हैं कि शासन का साफ निर्देश है कि जो भी अस्पताल और नर्सिंग होम हैं, वहां फायर सेफ्टी होना आवश्यक है. जो एनओसी लेने की श्रेणी में आते हैं. उन्हें फायर एनओसी भी लेना ही होगा तभी हम लाइसेंस देते हैं.

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