लखनऊ: सावन का पावन महीना आते ही भगवान भोले के प्रति कांवड़ियों की अपार श्रद्धा दिखाई देने लगती है. कोसों मील पैदल चलकर कांवड़िया बाबा भोलेनाथ के चरणों में गंगा जल अर्पित करते हैं. बम-बम भोले की जयकार और डीजे के गीतों पर थीरकते भक्तों की भोलेनाथ के प्रति श्रद्धा देखते ही बनती है. सावन के महीने में शिवरात्रि पौराणिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है.
हिंदू धर्म में दो शिवरात्रि अधिक प्रसिद्ध हैं. पहली शिवरात्रि फाल्गुन महीने के त्रयोदशी के दिन पड़ती है, जिसे महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. वहीं दूसरी शिवरात्रि सावन में पड़ती है, जिसे साव की शिवरात्रि कहते हैं. सावन की शिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होती है. इस दिन भक्त शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूर, भांग और गंगा जल चढ़ाकर शिव की पूजा-अर्चना करते हैं.
तीनों लोक के सर्वप्रिय देवता हैं भगवान शिव
भगवान भोलेनाथ को देवता, असुर, नर-नारी सभी पूजते हैं. भोलेनाथ को बहुत आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है, इसीलिए भगवान शिव तीनों लोक में सर्वप्रिय देवता माने जाते हैं. शिव को सुर-असुर, नर-गंर्धव सभी प्राणी पूजते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भोलेनाथ को प्रसन्न कर देवता और असुर सभी वरदान प्राप्त कर चुके हैं.