लखनऊ: महाशिवरात्रि का पर्व शुक्रवार को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. शिवालयों और मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लगी हुई हैं. 'हर हर महादेव' और 'ओम नम: शिवाय' से वातावरण भक्तिमय हो गया है. गोरखपुर जिले में 300 वर्ष पुराने मानसरोवर मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. वहीं बिजनौर और रायबरेली में बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं के भक्ति भाव में कोई कमी नहीं आई. लोग मंदिरों में पहुंचकर शिवलिंग का जलाभिषेक कर रहे हैं.
गोरखपुर में सैकड़ों वर्ष पुराने मानसरोवर मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
गोरखपुर: लगभग 300 वर्ष पहले मानसरोवर के राजा मानसिंह द्वारा घने जंगलों के बीच पोखरे का निर्माण कराया जा रहा था. इस दौरान जब मजदूर पोखरे की खुदाई कर रहे थे. तभी स्वयंभू के रूप में भगवान शंकर का शिवलिंग मिला और तब से इस पूरे क्षेत्र में सबसे प्राचीन मंदिर के रूप में मानसरोवर मंदिर विख्यात है. वहीं गुरु गोरक्षनाथ ने भी इस मानसरोवर में आकर भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की थी. तबसे लगातार नाथ संप्रदाय और मानसरोवर मंदिर का जुड़ाव देखने को मिलता है.
नाथ संप्रदाय के गोरक्ष पीठाधीश्वर हर वर्ष विजयदशमी के पर्व पर विजय जुलूस के दौरान मानसरोवर मंदिर में आकर भगवान भोले की पूजा अर्चना करते हैं. जलाभिषेक करते हैं और फिर भगवान राम-लक्ष्मण का राजतिलक करते हैं. महाशिवरात्रि के अवसर पर दूरदराज से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु कतार बंद तरीके से मानसरोवर मंदिर में आकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे हैं. मानसरोवर मंदिर की ऐसी मान्यता है कि कोई भी भक्त यहां से खाली हाथ नहीं लौटता, जिसकी भी जो भी मुरादें होती हैं, वह पूरी जरूर होती हैं.
महाशिवरात्रि पर भगवान भोले की शिवलिंग पर जलाभिषेक बेलपत्र आदि चढ़ाने से भक्तों पर भगवान भोले की विशेष कृपा होती है. अब इस मानसरोवर मंदिर का जीर्णोद्धार हो चुका है और खुद मुख्यमंत्री गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ की देखरेख में किया गया है। स्वयंभू भगवान भोले के शिवलिंग पर खुद मुख्यमंत्री ने बीते बृहस्पतिवार को जलाभिषेक किया था. इस मानसरोवर मंदिर के पीठाधीश्वर भी गुरु गोरक्षनाथ मंदिर से जुड़े हुए पुजारी ही बनाए जाते हैं.