लखनऊ:सेना के वाहनों में जिस तरह की डिवाइस लगी होती है. अब उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश की सड़कों पर संचालित हो रहे पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी वैसी ही डिवाइस लगेगी. इस डिवाइस की खासियत होगी कि इसकी लोकेशन विदेशी सैटेलाइट्स भी ट्रैक नहीं कर सकेंगी. सुरक्षा के लिहाज से इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं. इस डिवाइस की खरीद के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन ने टेंडर फ्लोट कर दिया है. इसमें कई कंपनियां हिस्सा ले रही हैं, जल्द ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट में इस तरह के सिक्योर डिवाइस लगने की उम्मीद है.
चाइनीज, पाकिस्तानी और अमेरिकी सेटेलाइट भी ट्रैक नहीं कर सकेंगी लोकेशन
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के एक अधिकारी बताते हैं कि पहले सेना में जो डिवाइस लगी होती थी. उससे विदेशी सैटेलाइट्स सेना के मूवमेंट की लोकेशन ट्रैक कर लेती थीं, जिससे सुरक्षा में सेंध लगने की संभावना पैदा हो जाती थी. इसके बाद सेना के वाहनों में एक ऐसी कोडेड डिवाइस लगाई गई. जिससे अब भारतीय सेटेलाइट के अलावा कोई भी विदेशी सेटेलाइट वाहन के मूवमेंट को ट्रैक नहीं कर पाती है. अब इसी तरह की डिवाइस उत्तर प्रदेश की सड़कों पर संचालित हो रहे व्यवसायिक वाहनों में लगाए जाने की तैयारी हो रही है. दावा है कि चाइनीज, पाकिस्तानी और अमेरिकी सेटेलाइट्स भी इस डिवाइस के वाहनों में लगे होने पर वाहनों की लोकेशन ट्रैक करने में नाकाम होंगी.
सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल 125 (एच) इसमें 2017 में संशोधन हुआ और इसका अनुपालन एक जनवरी 2019 से हुआ. इसमें तय किया गया कि कोई भी निर्माता बगैर एआईएस 140 मानक के बाहर नहीं भेजेगा. इसी एआईएस 140 कोड पर यह डिवाइस बनकर तैयार हो रही है. केंद्र सरकार की तरफ से इस कोड को मान्यता दी गई है. इस कोड पर बनी डिवाइस को विदेशी सैटेलाइट पकड़ पाएं. यह संभव नहीं है. इसका डाटा (आईआरएनएसएस) इंडियन रीजनल नेवीगेशनल सैटेलाइट सिस्टम पर जाता है. वहां से यह डाटा नीचे ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के सेटअप पर आएगा. जिसे व्हीकल ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म कहा जाएगा. इसे 4 लाख से ज्यादा व्यावसायिक वाहनों में लगाया जाएगा. रोडवेज के अफसर बताते हैं कि ऐसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट जो परमिट से आच्छादित है और पैसेंजर्स को लाने और ले जाने का काम करते हैं. उन वाहनों के लिए यह डिवाइस अनिवार्य होगी.
बसों में लगेंगे 10-10 पैनिक बटन
यूपीएसआरटीसी के अफसर बताते हैं कि इन वाहनों में रोडवेज बस, प्राइवेट बस, रेडियो टैक्सी और कैब शामिल होंगे. पब्लिक ट्रांसपोर्टस में यह डिवाइस लगेगी तो इससे पता चल जाएगा कि गाड़ी कहां है. उसका परमिट कहां है और किस रूट पर संचालित हो रही है. इस डिवाइस में पैनिक बटन भी लगा होगा. बसों में 10-10 पैनिक बटन लगाए जाएंगे. पैनिक बटन दबाते ही इसकी कॉल भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने जो व्यवस्था की है उसके मुताबिक पुलिस कमांड रूम 112 पर जाएगी. इसके बाद तत्काल इसकी सूचना 5,000 के करीब मोबाइल बैन पर जाएगी. मौके पर सहायता पहुंचाई जाएगी.
22 फुट की बनाई जाएगी वीडियो वॉल