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कोरोना वायरस की चपेट में लखनऊ का चिकनकारी उद्योग, पूरी तरह से हुआ चौपट

कोरोना वायरस की चपेट में आकर चौपट हुआ लखनऊ का चिकनकारी उद्योग अब ओमीक्रोन की आशंका से सहमे कारोबारी. बढ़ी चिकनकारी उद्योग कारोबारियों की चिंता, बाहरी देशों से मिलना बंद हुआ ऑर्डर. सर्दियों के सीजन में लोग नहीं पहनते चिकन के कपड़े तो ओमीक्रोन की वजह से नहीं आ रहे खरीददार.

कोरोना की चपेट में चिकनकारी उद्योग
कोरोना की चपेट में चिकनकारी उद्योग

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Published : Dec 26, 2021, 1:24 PM IST

लखनऊःवैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने व्यापारियों की जीवन पर खास असर डाला है. वहीं चिकनकारी उद्योग से जुड़े कारोबारी अब ओमीक्रोन की आशंका से सहमे हुए हैं. कोरोना वायरस के बाद चिकन कारोबारी में व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. चिकन उद्योग में काम कर रहे शहर के बड़े कारोबारियों का कहना है कि कोविड काल में कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया है.

कारोबारी विनोद पंजाबी ने बताया कि कोरोना काल में बिजनेस पूरी तरह से खराब रहा. कोई फायदा फिलहाल चिकन व्यापारियों को नहीं हो रहा है. उस पर भी सरकार जीएसटी बढाए जा रही है. इसका असर कही न कही व्यापार पर पड़ रहा है. बाहरी देशों से ऑर्डर मिलना बंद है. जिस धागे का बंडल आज से तीन साल पहले 1700 का मिलता था वह अब 2500 या 2800 रूपये तक मिल रहा है.

कोरोना की चपेट में चिकनकारी उद्योग

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लखनऊ चिकनकारी हैंडीक्राफ्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने बताया कि इस हफ्ते अन्य देशों से मिलने वाला ऑर्डर अभी तक नहीं आया है. इसकी बुकिंग होती तो मार्च में डिलीवरी की जाती है. मगर फिलहाल चिकन कारोबार पूरी तरह से खराब चल रहा है. ग्राहक खरीद के लिए भी नहीं आ रहे हैं. ऐसे में चिकन कारोबार में सेलिंग की चुनौतियां बढ़ गई है.

बढ़ी चिकनकारी उद्योग कारोबारियों की चिंता
लखनऊ के स्थानिय लोग हमेशा चिकन के कपड़े नहीं खरीदते हैं. वही लोग जो बाहर के लोग घूमने फिरने के लिए आते हैं वह लोग चिकन के कपड़े खरीदते हैं. ऐसे में अगर 10-5 लोग भी खरीदते हैं तो बाकी शहर के हजारों दुकान बिना ग्राहक के समान किसे बेचेंगे. चिकन के कपड़े लोग हमेशा नहीं पहनते हैं और इस समय सर्दियों का सीजन है. ऐसे में बहुत कम रहा की चिकन के कपड़े खरीदने आ रहे हैं.चिकन कारोबारी विनोद पंजाबी कहते हैं कि उनका खुद का आउटलेट एयरपोर्ट है. इस वक्त काम बंद है और फ्यूल की बढ़ती कीमत से महंगा भी. ऐसे में यहां से जाने वाला माल डंप है और पात्री भी कम हैं. ऐसे में महज आठ फीसदी टूरिस्ट पर निर्भर चिकनकारी कारोबार कैसे चलेगा. कोविड से पहले के सौ फीसदी होने वाले कारोबार से कीविड के बाद के हालात की तुलना करें तो आठ फीसदी ही कारोबार बचा है.
कोरोना की चपेट में चिकनकारी उद्योग
चिकन कारोबारी विनोद पंजाबी ने बताया कि बाजार में मिलने वाले प्योर जॉर्जट का 400-450 रुपये मीटर वाला कपड़ा 650-750 रुपये मीटर हो गया है. मांग से काफी कम कपड़ा मिल पा रहा है. इसी तरह धागे का 1700 रुपये वाला बंडल अब 2800 रुपये तक में मिल रहा है.

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