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डिप्टी सीएम डॉ. द‍िनेश शर्मा ने लखनऊ विवि की छात्रा को ल‍िया गोद

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Published : Jun 26, 2021, 2:22 PM IST

लखनऊ विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने ऐसे छात्र-छात्राओं को गोद लिया है, जिनके मां-बाप कोरोना के कारण इस दुनिया में नहीं हैं. इसमें उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा भी शामिल हैं. उन्होंने भी एक छात्रा को गोद लिया है.

डिप्टी सीएम डॉ. द‍िनेश शर्मा ने लखनऊ विवि की छात्रा को ल‍िया गोद
डिप्टी सीएम डॉ. द‍िनेश शर्मा ने लखनऊ विवि की छात्रा को ल‍िया गोद

लखनऊ:कोरोना संक्रमण के बीच लखनऊ विश्वविद्यालय ने एक अच्छी पहल की है. कोरोना काल में माता-पिता को खोने वाले छात्रों की जिम्मेदारी उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा और लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने उठाई है. उपमुख्यमंत्री ने एम कॉम की छात्रा और कुलपति ने बीबीए की छात्रा को गोद लिया है.

प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और लखनऊ विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के प्रोफेसर दिनेश शर्मा ने एम कॉम की छात्रा सुनिधि श्रीवास्तव को गोद लिया तो वहीं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने बीबीए की छात्रा दीक्षा अग्रवाल को गोद लिया. विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसे सभी 47 छात्रों की जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया है, जिनके माता पिता की कोरोना से मौत हो गई है. विश्वविद्यालय के शिक्षकों और प्रशासनिक अधिकारियों ने इन छात्रों की जिम्मेदारी ली है. बता दें कि इसकी पहल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने की थी.

प्रोफेसर आलोक कुमार राय की पहल पर विश्वविद्यालय की छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रोफेसर पूनम टंडन ने 19 जून को विश्वविद्यालय के सभी अध्यापकों, पूर्व अध्यापकों और प्रशासनिक अधिकारियों से एक पत्र के जरिए अपील की थी. पत्र लिखने के एक हफ्ते के अंदर सभी 47 छात्रों की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय सें संबंधित पदाधिकारियों और शिक्षकों ने उठा ली.

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विश्वविद्यालय के इसे फैसले के बाद छात्रों ने आभार जताया है. विश्वविद्यालय की छात्रा ज्योति यादव ने बताया कि मुझसे ईमेल के जरिए संपर्क किया गया. मुझे सभी प्रकार की सहायता देने का वादा किया गया है. ज्योति ने सोशल मीडिया पर धन्यवाद देते हुए कहा कि मैं विश्वविद्यालय की आभारी हूं, क्योंकि मुश्किल समय में विश्वविद्यालय परिवार ने मेरा साथ दिया है.

जाहिर है कि कोरोना की दूसरी लहर में हजारों बच्चों के माता-पिता ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. ऐसे में लगातार सामाजिक संगठन और सरकार इन बच्चों के भविष्य को देखते हुए उनके हित में फैसले ले रही है. उसी कड़ी में विश्वविद्यालय ने भी ये सकारात्मक कदम उठाया है.

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