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राजधानी में बढ़ रहा डेंगू, फैजुल्लागंज में मिले 29 से ज्यादा मरीज - लखनऊ में डेंगू मरीज

राजधानी के फैजुल्लागंज क्षेत्र में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. सीएमओ कार्यालय के मुताबिक, अभी शहर में सिर्फ 55 मरीज डेंगू के मिले हैं. लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में 29 से ज्यादा लोग डेंगू की चपेट में आ गए हैं और शिकायत करने पर एक बार भी स्वस्थ्य विभाग और नगर निगम के कर्मचारी छिड़काव करने नहीं आते हैं.

लखनऊ के फैजुल्लागंज में डेंगू.
लखनऊ के फैजुल्लागंज में डेंगू.

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Published : Jul 21, 2021, 4:52 PM IST

लखनऊ: राजधानी के फैजुल्लागंज क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण बढ़ते डेंगू के मरीजों ने लोगों के जहन में 2016 जैसा डर पैदा कर दिया है. लोगों का कहना है कि 2016 में इसी तरह शुरूआत में स्वास्थ्य और नगर निगम ने लापरवाही दिखाई थी. जिसके चलते लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था. जांच में हर घर में संदिग्ध बुखार के मरीज पाए गए थे. इस दौरान करीब 100 लोगों की मौत हो गई थी. इससे लोगों में इस कदर डर समा गया था कि कई परिवार पलायान कर गए थे. ऐसी ही स्थिति 2021 में फिर एक बार आ गई है. इससे लोगों में दहश्त है.

फैजुल्लागंज राजधानी के पुराने इलाकों में से एक है, जहां साफ सफाई नाम पर कुछ नहीं होता है. अब अस्पतालों में डेंगू वार्ड तैयार हो रहे हैं. घर पर ही जो मरीज डेंगू बुखार से पीड़ित है, ऐसे मरीज स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में शामिल नहीं हैं. फैजुल्लागंज शहर का पुराना क्षेत्र है, जहां पुराने मकान तो हैं ही साथ ही गंदगी भी बहुत है. नालियां सड़कों पर बहती हैं. लोगों के घरों तक गंदा पानी बहकर अंदर आता है. संचारी रोग डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के कारण ही गंदगी में पनपने वाले मच्छर हैं.

सीएमओ कार्यालय के मुताबिक, अभी शहर में सिर्फ 55 मरीज डेंगू के मिले हैं. फैजुल्लागंज निवासी ममता त्रिपाठी का कहना है कि आने वाला समय फैजुल्लागंज के लिए और ज्यादा भयावह होगा. क्योंकि 2016 में भी धीरे-धीरे ही स्थितियां बिगड़ी थीं. उन्होंने कहा कि शिकायत करने पर एंटी लार्वा का छिड़काव और फॉगिंग नहीं किया जा रहा है. 4 बार शिकायत करने पर एक बार भी स्वस्थ्य विभाग और नगर निगम के कर्मचारी छिड़काव करने नहीं आते हैं. फैजुल्लागंज के लोगों का कहना है कि यहां 29 से ज्यादा लोग डेंगू की चपेट में आ गए हैं और कोरोना के डर की वजह से लोग सरकारी तो छोड़िए निजी अस्पतालों में भी जाना मंजूर नहीं कर रहे हैं.

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स्वास्थ्य विभाग का पूरा जोर इस पर है कि कैसे मरीजों की बीमारी को सामान्य बुखार साबित कर दिया जाए. कोरोना के मरीजों में थोड़ी गिरावट हुई तो लोग डेंगू से लोग परेशान है, जबकि जुलाई से संचारी रोग अभियान चल रहा है. यही वजह है कि अब तक इस इलाके में तेज बुखार के सभी संदिग्ध मरीजों के सैंपल जांच के लिए केजीएमयू, पीजीआई या लोहिया इंस्टिट्यूट भेजे ही नहीं जा रहे हैं. ऐसे में न मरीजों की एलाइजा जांच हो पाती है और न ही इनका नाम सीएमओ के आंकड़ों में जुड़ पाता है.

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसके नंदा बताते हैं कि ये मौसम ऐसा है कि इस मौसम में ही सारे मच्छर जनित रोग तेजी से फैलते हैं. फिर धीरे-धीरे ठंडक कम होने के साथ ये मरीज ठीक होते जाते हैं. ये सभी मौसमी बीमारियां हैं जो कि मौसम के अनुकूल होती और खत्म होती है. एक मच्छर कई बीमारियों की जड़ होता है. वह डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और जीका जैसी खतरनाक बीमारियों के वायरस को इंसानों तक पहुंचाता है. मच्छर के सिर्फ काटने से कुछ नहीं होता लेकिन, अगर उसके शरीर में बीमारियों के कीटाणु मौजूद हैं तो उसके काटते ही वह आपके शरीर में घुस जाएंगे. जो घातक बीमारी का रूप ले लेता है. अस्पताल में डेंगू वार्ड हैं, जिसमें 12 बेड़ हैं. हाल में 3 मरीज अस्पताल में भर्ती हुए थे.

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