लखनऊ: प्रदेश में डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. डेंगू से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ने से पैथोलॉजी पर डेंगू की जांच के लिए मरीजों की भीड़ लग रही है. इसका फायदा उठाकर निजी अस्पताल जमकर पैसा वसूल रहे हैं. डेंगू के लिए एलाइजा जांच के लिए लोगों को 1400 से अधिक की कीमत चुकानी पड़ रही है. वहीं, डेंगू सीबीसी, मलेरिया, चिकनगुनिया और टाइफाइड की जांच करानी है तो 2500 से अधिक शुल्क लिए जा रहे हैं. दो से तीन निजी अस्पातल में भर्ती रहने के बाद मरीजों से 50-60 हजार का बिल वसूल जा रहा है.
लखनऊ के सिविल अस्पताल में अमेठी से इलाज कराने आए एक मरीज ने बताया कि निजी अस्पताल से परेशान होकर बेटी को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया है. गाजीपुर निवासी शैलेन्द्र यादव ने बताया कि मरीज को डेंगू हुआ है. ऐसे में प्लेटलेट्स काफी ज्यादा डाउन हो गईं. इस कारण अस्पताल में भर्ती कराने की स्थिति बनी. निजी अस्पताल में काफी पैसा वसूला जाता है इसलिए सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं.
आलमबाग के कनिष्क ने बताया कि निजी अस्पताल काफी ज्यादा लूट मचाए हुए हैं. एक बार में अगर कोई मरीज वहां इलाज के लिए पहुंचता है तो 50 से 60 हजार तक का बिल बना देते है. आलमबाग के निजी अस्पताल में कोई भी गरीब व्यक्ति इलाज भी नहीं करा सकता है. वहां पर इतना पैसे वसूला जाता है की पीड़ित परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाए. हमें पहले से इसका अनुभव था. इसलिए हम कहीं निजी अस्पताल की तरफ रूख न करते हुए सिविल अस्पताल लेकर आए हैं. यहां पर थोड़ी भाग दौड़ करनी पड़ती है. डॉक्टरों और स्टॉफ के पीछे थोड़ा लगे रहना पड़ता है लेकिन इलाज अच्छा मिलता है.
अमेठी के विजय कुमार अपने बेटे का इलाज कराने के लिए सिविल अस्पताल पहुंचे. उन्होंने बताया कि बेटे की तबीयत काफी ज्यादा खराब हो जाने की वजह से सबसे पहले हम नीचे अस्पताल भागे. जहां हॉस्पिटल और पैथोलॉजी काफी पैसा वसूल रहे थे. जगदीशपुर के एक निजी असपताल में 500, 600, 1400, जल्दी रिपोर्ट चाहिए तो 3000 रूपये की मांग करते है. उन्होंने बताया कि जबकि इस अस्पताल में इलाज के दौरान 5 मरीजों की जान भी चली गई थी.
अस्पताल पैसा बनाने के चक्कर में मरे हुए मरीजों का भी इलाज करने के नाम पर पैसा वसूल करते हैं. यह अस्पताल सरकार द्वारा तय किए गए मानक से अधिक पैसे लेते हैं इसलिए जब मरीज की जांच होती है तो उसका कोई रसीद नहीं बनाते हैं. मरीज की तबीयत को लेकर परेशान तीमारदार इस बात की तरफ गौर भी नहीं करते हैं. इस स्थिति में तो इंसान सोचता है कि पैसा देकर किसी तरह इंसान की जान बचाया जाए. हालांकि वहां पर सरकारी अस्पताल में भी बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाने की वजह से सिविल अस्पताल पहुंचे. सिविल अस्पताल में बेहतर चिकित्सा सुविधा मिली है.