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एसडीएम ने ढहवाया अधिवक्ता का घर, हाईकोर्ट ने कहा, कार्रवाई प्रथम दृष्टया विधि विरुद्ध

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक जनहित याचिका दाखिल सुनवाई के बाद एसडीएम, गौरीगंज द्वारा जिला बार एसोसिएशन के महासचिव का घर गिरवाने के मामले को प्रथम दृष्टया एसडीएम विधि विरुद्ध माना है. अदालत ने मुख्य स्थाई अधिवक्ता से निर्देश प्राप्त कर जवाब देने का आदेश दिया है.

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Published : Nov 22, 2022, 10:19 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जनहित याचिका दाखिल कर आरोप लगाया गया है कि अमेठी का जिला व पुलिस प्रशासन लगातार वकीलों का उत्पीड़न कर रहा है. इसी क्रम में एसडीएम गौरीगंज ने जिला बार एसोसिएशन के महासचिव का घर गिरवा दिया. न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया एसडीएम, गौरीगंज ने जो कार्रवाई की है, वह विधि विरुद्ध है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई बुधवार को लगाते हुए मुख्य स्थाई अधिवक्ता को निर्देश प्राप्त कर जवाब देने का आदेश दिया है. इसके साथ ही प्रश्नगत जमीन पर यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है. न्यायालय ने प्रशासन से यह भी उम्मीद जताई है कि बार एसोसिएशन के सदस्यों को बेजा परेशान नहीं किया जाएगा.


यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव (Justice Devendra Kumar Upadhyay and Justice Saurabh Srivastava) की खंडपीठ ने जिला बार एसोसिएशन अमेठी की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया. याचिका में कहा गया है कि बार के महासचिव उमा शंकर मिश्रा को 16 मई 2015 के तत्कालीन एसडीएम गौरीगंज के आदेश से जमीन के बदले में भूमि प्रबंधन समिति की एक जमीन मिली थी.

वर्तमान एसडीएम ने 16 मई 2015 के उक्त आदेश पर स्वतः संज्ञान पुनर्विचार याचिका दर्ज करते हुए 16 मई 2015 के आदेश को खारिज कर दिया और तत्काल इसका इंदराज खतौनी में कर दिया गया. आरोप है कि इसके पश्चात उक्त जमीन पर बना उमा शंकर मिश्रा का घर हैवी मशीनरी का प्रयोग करते हुए गिरा दिया. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि एसडीएम ने पहले तो गृह स्वामी को न तो सुनवाई का कोई मौका दिया और न ही उसे पुराने आदेश पर पुनर्विचार करने की कोई शक्ति यूपीजेडए एंड एलआर एक्ट में प्राप्त थी.

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