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स्कूल बसों का कर माफ करने, फिटनेस और परमिट अवधि बढ़ाने की मांग

उत्तर प्रदेश स्कूल बस ऑपरेटर एसोसिएशन ने मंगलवार को प्रदेश के परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है. इस पत्र में प्रमुख रूप से चार मांगें शामिल की हैं.

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Published : May 19, 2021, 4:06 AM IST

स्कूल बसों का कर माफ.
स्कूल बसों का कर माफ.

लखनऊः कोरोना संक्रमण के कारण पिछले कई माह से स्कूल बंद हैं. स्कूल न खुलने से अनुबंध पर लगी बसों का संचालन नहीं हो रहा है. बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर लाने वाली स्कूल बसें न चलने पर बस स्वामियों की कोई इनकम नहीं हुई है. लिहाजा, उत्तर प्रदेश स्कूल बस ऑपरेटर एसोसिएशन ने मंगलवार को प्रदेश के परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है. संगठन के अध्यक्ष राकेश कालरा और उपाध्यक्ष अवतार सिंह ने प्रमुख सचिव परिवहन को भेजे गए इस पत्र में प्रमुख रूप से चार मांगें शामिल की हैं.

15 माह से नहीं हिला स्कूल बसों का चक्का

पत्र में संगठन के पदाधिकारियों ने लिखा है कि कोरोना वायरस के चलते स्कूल और कॉलेज लगभग 15 माह से बंद हैं. बसों का संचालन न होने के कारण स्कूल बस मालिक आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं. परिवार का पालन पोषण करना भी कठिन हो गया है. इस कठिन समय में स्कूल में अनुबंधित बसों की कर की माफी सिर्फ दो माह की हुई है, जबकि स्कूल बसों का संचालन पिछले 15 माह में एक दिन भी नहीं हुआ है. ऐसे में टैक्स मांगना बिल्कुल ही सही नहीं है. अभी भी स्कूल और कॉलेज खुलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. उस पर विभाग स्कूल बस का टैक्स मांग रहा है, जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है. संगठन के अध्यक्ष राकेश कालरा का कहना है कि सरकार की तरफ से ही स्कूल बंद किए गए हैं. ऐसे में सभी स्कूल कॉलेज अनुबंध बस ऑपरेटरों ने सरकार से उनकी मांगें पूरा करने का अनुरोध किया है.

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ये हैं संगठन की प्रमुख मांगे

  • सभी स्कूल, कॉलेजों की बसों का कर मार्च 2020 से जब तक स्कूल बसों का संचालन शुरू न हो तब तक नॉन यूज क्लॉज के अंतर्गत माफ किया जाए.
  • सभी स्कूल, कॉलेजों की बसों के परमिट और फिटनेस की अवधि एक साल बिना किसी शुल्क के बढ़ाई जाए.
  • स्कूल, कॉलेज अनुबंधित बसों की आयु को पूर्व की तरह 15 वर्ष किया जाए, जिससे अनुबंधित बस मालिक को कुछ राहत मिल सके.
  • यदि यात्री वाहन का अधिग्रहण सरकार या इलेक्शन कमीशन द्वारा किया जाता है तो इसका किराया जो उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को मिलता है. उसी के बराबर प्राइवेट बसों को भी दिया जाए.

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