लखनऊ: बिजली कर्मियों ने मुख्यमंत्री से यूपी के बिजली मंत्री अरविंद कुमार शर्मा (UP Energy Minister Arvind Kumar Sharma) के साथ हुए लिखित समझौते के क्रियान्वयन के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की है. बिजली कर्मियों का कहना है कि ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते को लागू कराने की मांग किसी भी तरह राजनीतिक नहीं है. ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन पर ऊर्जा मंत्री को गुमराह करने का आरोप भी लगाया है.
सोमवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते के क्रियान्वयन के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावी हस्तक्षेप किए जाने की अपील की. संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते को लागू करने की मांग में कुछ भी राजनीतिक नहीं है. यह बिजली कर्मियों की नैसर्गिक न्याय की मांग है. ऐसा प्रतीत होता है कि इस बाबत ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन ने अपनी अकर्मण्यता छिपाने के लिए ऊर्जा मंत्री को पूरी तरह से गुमराह किया है. संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि हड़ताल करने के लिए बिजलीकर्मियों को बाध्य किया जा रहा है.
तीन दिसम्बर 2022 को हुए लिखित समझौते में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि ऊर्जा मंत्री के अनुरोध पर संघर्ष समिति ने 15 दिन के लिए आन्दोलन स्थगित करने की सहमति प्रदान की. अब जबकि 110 दिन हो चुके हैं और प्रबन्धन की हठधर्मिता के चलते समझौता लागू नहीं हो रहा है, तो बिजलीकर्मियों के सामने लोकतांत्रिक ढंग से ध्यानाकर्षण करने के अलावा अन्य क्या विकल्प है? तीन दिसंबर के बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले जी-20 सम्मेलन और इन्वेस्टर्स समिट की महत्ता और इन सम्मेलनों में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की उपस्थिति की गरिमा को ध्यान में रखते हुए बिजलीकर्मियों ने अपने पूर्व निर्धारित सभी ध्यानाकर्षण कार्यक्रम को स्थगित कर सुचारू बिजली आपूर्ति बनाये रखने के लिए प्रयास किया.