लखनऊ: माफिया मुख्तार अंसारी के पुत्र अब्बास अंसारी की ओर से लखनऊ के महानगर थाना क्षेत्र से शस्त्र लाइसेंस जारी कराने के बाद दिल्ली से उसी लाइसेंस पर कई लाइसेंस जारी कराने के मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से दस्तावेजों को न देने पर लखनऊ के विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (अयोध्या प्रकरण) ने जारी सर्च वारंट को चुनौती देने वाली ज्वाइंट कमिश्नर दिल्ली पुलिस (लाइसेंस यूनिट) द्वारा जारी निगरानी याचिका को आयुर्वेद घोटाला प्रकरण के विशेष न्यायाधीश डॉ. अवनीश कुमार ने खारिज कर दिया है.
ज्वाइंट कमिश्नर दिल्ली पुलिस ने निचली अदालत के 2 नवंबर 2021 को पारित तलाशी वारंट आदेश को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी, जिस पर 15 नवंबर 2021 को उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि निगरानी कर्ता प्रश्नगत आदेश को सत्र न्यायालय के समक्ष चुनौती दे. उच्च न्यायालय के इस आदेश के अनुक्रम में ज्वाइंट कमिश्नर दिल्ली पुलिस द्वारा निगरानी याचिका दायर कर कहा कि निचली अदालत द्वारा बिना सुने हुए तलाशी वारंट जारी करने का आदेश जारी कर दिया है, जो की विधि सम्मत नहीं है.
जबकि राज्य सरकार की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता विकास सिंह और पंकज श्रीवास्तव का तर्क था कि मुख्तार अंसारी के पुत्र अब्बास अंसारी के विरुद्ध आयुध लाइसेंस के प्रावधानों का उल्लंघन करने के बाबत वर्ष 2019 में धोखाधड़ी और आयुध अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, जिसकी विवेचना कोतवाली महानगर पुलिस की ओर से की जा रही है.
अब्बास अंसारी के शस्त्र लाइसेंस मामले में सर्च वारंट को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज
ज्वाइंट कमिश्नर दिल्ली पुलिस ने निचली अदालत के 2 नवंबर 2021 को पारित तलाशी वारंट आदेश को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी. दिल्ली पुलिस द्वारा निगरानी याचिका दायर कर कहा कि निचली अदालत द्वारा बिना सुने हुए तलाशी वारंट जारी करने का आदेश जारी कर दिया है, जो की विधि सम्मत नहीं है.
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यह भी कहा गया कि थाना महानगर पुलिस ने दिल्ली पुलिस लाइसेंसिग यूनिट को विभिन्न पत्र लिखकर अब्बास अंसारी के आयुध लाइसेंस के संबंध में सत्यापन और कतिपय सूचनाएं मांगी थीं. बहस के दौरान कहा गया कि शस्त्र अधिनियम से संबंधित मूल पत्रावली मय नोटशीट और संबंधित दस्तावेजों को विवेचक को प्राप्त न कराने पर निचली अदालत द्वारा विवेचक के अनुरोध पर तलाशी वारंट जारी किया गया था. इस प्रकार निचली अदालत द्वारा पारित आदेश में कोई त्रुटि नहीं है. यह भी कहा गया कि धारा 91 दंड प्रक्रिया संहिता की कोई बात साक्ष्य अधिनियम पर प्रभाव डालने वाली नहीं मानी जाएगी.
राज्य सरकार की ओर से बहस के दौरान कहा गया कि अभियुक्त अब्बास अंसारी के पिता मुख्तार अंसारी का पंजीकृत गैंगस्टर और जनपद गाजीपुर का हिस्ट्रीशीटर और माफिया हैं, जिनके विरुद्ध विभिन्न प्रांतों ने 4 दर्जन से अधिक अपराधिक मामले पंजीकृत हैं. इनमें अधिकांश मामले हत्या, हत्या का प्रयास ,अपहरण एवं दंगे से संबंधित है. यह भी कहा गया कि इस पारिवारिक पृष्ठभूमि के बावजूद दिल्ली पुलिस की लाइसेंसिंग यूनिट द्वारा शस्त्र अधिनियम की धारा 13( 2क) के बाध्यकारी प्रावधानों के बावजूद और पुलिस रिपोर्ट के बिना अब्बास अंसारी को पता परिवर्तन के आधार पर लाइसेंस स्वीकृत कर दिया गया. जबकि शस्त्र अधिनियम की धारा 14(1)(b) (2) के प्रावधानों के अनुसार लोक शान्ति की सुरक्षा अथवा लोक क्षेम के लिए शस्त्र लाइसेंस देने से इनकार किया जा सकता था. यह भी कहा गया प्रस्तुत प्रकरण की मूल पत्रावली जोकि अब्बासअंसारी को शस्त्र लाइसेंस दिए जाने से संबंधित है. इसके पिता के विरुद्ध पंजीकृत अभियोगों के अवलोकन से स्पष्ट है कि उसके द्वारा लोक शांति की सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है.
अदालत ने अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक विकास सिंह और पंकज श्रीवास्तव के तर्कों से सहमति व्यक्त करते हुए ज्वाइंट कमिश्नर दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल अपराधी निगरानी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि निचली अदालत द्वारा पारित प्रश्न गत तलाशी वारंट के आदेश में कोई भी त्रुटि नहीं पाई जाती है. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि निचली अदालत की ओर से पारित प्रगत आदेश की पुष्टि की जाती है.
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