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अयोध्या विवाद: आडवाणी, जोशी व अन्य नेताओं पर फैसला आने में अभी छह माह का वक्त

विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में स्पेशल जज ने सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई पूरा करने के लिए छह महीने का समय और मांगा है. 30 सितंबर 2019 को स्पेशल जज रिटायर हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल जज के कार्यकाल को बढ़ाने की क्या प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार जवाब मांगा था.

बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में जानकारी देते अधिवक्ता सरदार परविंदर सिंह.

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Published : Jul 20, 2019, 3:15 PM IST

लखनऊ: अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में स्पेशल जज ने सुप्रीम कोर्ट से केस की सुनवाई पूरा करने के लिए छह महीने का समय और मांगा है. 30 सितंबर 2019 को स्पेशल जज रिटायर हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल जज के कार्यकाल को बढ़ाने की प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा था. हालांकि स्पेशल जज की रोजाना सुनवाई अदालत में जारी है.

बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में जानकारी देते अधिवक्ता सरदार परविंदर सिंह.

जानें पूरा मामला-

  • विवादित ढांचा गिराए गिराए जाने के मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा पर कोर्ट का फैसला आने में अभी छह महीने का वक्त लगेगा.
  • लखनऊ में गठित स्पेशल कोर्ट में सुनवाई कर रहे स्पेशल जज सुरेंद्र कुमार यादव ने सुप्रीम कोर्ट से केस की सुनवाई पूरा करने के लिए छह महीने का समय और मांगा है.
  • इस केस में सीबीआई अभी औपचारिक गवाहों को पेश कर रही है.

मामले में दर्ज हैं कई बड़े नाम-

  • विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी सहित कई वरिष्ठ नेताओं पर केस चल रहा है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को स्पेशल कोर्ट को आदेश दिया था कि केस की सुनवाई रोजाना करके उसे दो साल के भीतर पूरा कर लिया जाए.

लगाए गए थे आरोप-

  • स्पेशल जज ने 30 मई 2017 को इस केस में आडवाणी, जोशी, विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया, उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा पर मस्जिद गिराने का षडयंत्र रचने के लिए आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आरोप लगाया था.
  • इसी केस के अन्य अभियुक्तों डॉ रामविलास वेदांती, वैकुंठलाल शर्मा, चंपत राय बंसल, महंत नृत्य गोपाल दास, धर्मदास और सतीश प्रधान के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी के साथ-साथ 153ए, 153बी, 295, 295ए, तथा 505, 147 व 149 के तहत आरोप लगाए गए थे.

इस मामले में अगर आरोपित अपने को निर्दोष बताते हैं तो वह अपनी सफाई में कोई गवाह या सबूत पेश करेगा. इसके बाद अभियोजन पक्ष व आरोपियों के वकीलों में बहस होगी और फिर फैसला किया जाएगा. अभी इसमें फैसला आने में समय लगेगा.
-सरदार परविंदर सिंह, अधिवक्ता, हाईकोर्ट लखनऊ

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