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सेवा सम्बंधी मामले में 25 साल बाद आया फैसला -जिला पंचायत कर्मचारी की बर्खास्तगी को हाईकोर्ट ने ठहराया सही - कारण बताओ नोटिस

सेवा सम्बंधी मामले में 25 साल बाद आया फैसला जिला पंचायत कर्मचारी की बर्खास्तगी को हाईकोर्ट ने सही ठहराया. यह निर्णय न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह (Justice Dinesh Kumar Singh) की एकल पीठ ने संतोष कुमार खरे की तीन याचिकाओं पर एक साथ निर्णित करते हुए पारित किया.

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच

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Published : Jan 31, 2022, 9:42 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक ही कर्मचारी के सेवा सम्बंधी तीन याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए, कर्मचारी के बर्खास्तगी को सही ठहराया है. ये तीनों याचिकाएं याची कर्मचारी ने लगभग 25 साल, 24 साल और 21 साल पूर्व दाखिल की थीं. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि याची अपने ड्यूटी से जानबूझ कर अनुपस्थित रहा, लिहाजा बर्खास्तगी आदेश की चुनौती देने वाली उसकी याचिका समेत तीनों याचिकाओं को खारिज किया जाता है.

यह निर्णय न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह (Justice Dinesh Kumar Singh) की एकल पीठ ने संतोष कुमार खरे की तीन याचिकाओं पर एक साथ निर्णित करते हुए पारित किया. याची की ओर से कहा गया कि वर्ष 1975 में उसे डिस्ट्रिक्ट बोर्ड, बहराइच में क्लर्क के पद पर नियुक्ति मिली. डिस्ट्रिक्ट बोर्ड, बहराइच बाद में जिला पंचायत बहराइच हो गया.

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वर्ष 1997 में नए बने जिला पंचायत श्रावस्ती में उसका तबादला कर दिया गया, जहां उसे ऑडिट और अंत्योदय क्लर्क के पद की जिम्मेदारी दी गई. याची का कहना था कि वह पहले अकाउंटेंट (अप्रशिक्षित) के पद पर था लेकिन तबादले के साथ उसकी पदावनति कर दी गई. हालांकि इस बिंदु पर याची को हाईकोर्ट से अंतरिम राहत मिल गई.

उधर उसके श्रावस्ती (Zilla Panchayat Shravasti) कार्यालय न ज्वाइन करने पर बकायदा अखबार में उसके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी की गई. उसकी ओर से संतोषजनक जवाब न मिलने पर अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत श्रावस्ती ने 16 जून 2001 को अखबार में नोटिस (Show cause notice) प्रकाशित कराया कि उसे 21 मई 2001 को बर्खास्त कर दिया गया है.

न्यायालय ने अपने विस्तृत फैसले में कहा कि याची को श्रावस्ती से वापस बहराइच ट्रांसफर करने के 6 फरवरी 1999 के आदेश को डिविजनल कमिश्नर द्वारा 25 जनवरी 2000 को निरस्त कर दिया गया था. 25 जनवरी 2000 के आदेश के बाद उसे श्रावस्ती में ज्वाइन करना चाहिए था लेकिन उसने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया. उसे कई नोटिस भी जारी की गईं लेकिन वह ड्यूटी से गायब रहा. न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ उसकी तीनों याचिकाओं को खारिज कर दिया.

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