लखनऊ:हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपनी चार बेटियों व पत्नी की हत्या करने के अभियुक्त को सत्र अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा पर मुहर लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि घटना में अपनाई गई नृशंसता को देखते हुए अभियुक्त को उम्र कैद की सजा देना पर्याप्त नहीं होगा. न्यायालय ने उसके कृत्य को दुर्लभ से दुर्लभतम करार दिया है. यह निर्णय जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बृजराज सिंह की बेंच ने दीन दयाल तिवारी की अपील को खारिज करते हुए सुनाया.
शासकीय अधिवक्ता विमल श्रीवास्तव व अपर शासकीय अधिवक्ता चंद्रशेखर पांडेय ने सत्र अदालत के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि कि घटना अयोध्या जनपद के पुरा कलंदर थाना क्षेत्र की है. दीन दयाल तिवारी के भाई दीनानाथ तिवारी ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि 12/11 नवम्बर 2011 की रात लगभग ढाई बजे पड़ोस में रहने वाले उसके भाई के घर से बचाओ-बचाओ का शोर सुनाई दिया. शोर सुनकर दीनानाथ व उसकी पत्नी अभियुक्त के घर भाग कर गए तो घर का दरवाजा अंदर से बंद था. अभियुक्त दरवाजा खोलने को तैयार नहीं हुआ तो दीनानाथ ने कहा कि वह दरवाजा तोड़कर देगा. तब अभियुक्त हाथ में कुल्हाड़ी लिए बाहर निकला और उन दोनों पर भी हमलावर हो गया. इतने में शोर सुनकर गांव के अन्य लोग भी मौके पर आ गए और सबने मिलकर दीन दयाल पर काबू पाया.