लखनऊः मौतों के आंकड़े ने राजधानी के लोगों को डरने के लिए मजबूर कर दिया है. श्मशान घाटों पर लंबी-लंबी लाइनें सरकारी आंकड़ों पर भी सवाल खड़े कर रही हैं. लोग इलाज न मिलने के कारण घरों में ही जान गवां रहे हैं. ताजा मामला राजधानी के कृष्णानगर थाना क्षेत्र के एलडीए कॉलोनी डी-1 का है.
कॉलोनी में अरविंद गोयल (65) अपनी दिव्यांग पत्नी रंजना गोयल (60) और पुत्र ईलू गोयल (20) रहते थे. कोरोना पॉजिटिव आने के बाद तीनों घर में ही होम आइसोलेशन में थे. पूरे परिवार का मोहल्ले में किसी के साथ बहुत ज्यादा मेलजोल नहीं था. शनिवार रात मोहल्ले वालों को अरविंद गोयल के मकान से दुर्गंध आने के बाद कुछ अनहोनी की आशंका हुई. मोहल्ले वालों ने इसकी सूचना पुलिस को दी. सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और मोहल्ले वालों की मदद से मकान का दरवाजा तोड़कर अंदर गए.
चार दिन तक नहीं निकला घर से कोई बाहर
मोहल्ले वालों का कहना है कि चार दिन से परिवार का कोई सदस्य घर के बाहर नहीं निकला था. चार दिन पहले ही अरविंद को घर के बाहर खड़े हुए देखा गया था. पड़ोसियों ने बताया कि लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण मोहल्ले के लोग भी घरों से बाहर कम ही निकलते हैं. इसलिए किसी का ध्यान अरविंद की ओर नहीं गया. शनिवार रात दुर्गंध आने पर पुलिस को सूचना दी गई. पड़ोसियों का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि अरविंद और उनका बेटा आइसोलेशन में हैं.
चीखती रही पत्नी, किसी ने नहीं सुनी आवाज
अरविंद की पत्नी को जब पुलिस और मेडिकल टीम ने बाहर निकाला तो वह दहशत में थीं. उनके मुंह से ठीक से आवाज भी नहीं निकल रही थी. काफी कमजोर भी थीं. अरविंद की पत्नी ने बताया कि कमरे में पति और बेटे का शव पड़ा देखकर वह चीखती रही, लेकिन किसी मोहल्ले वाले ने उनकी आवाज नहीं सुनी. घर पर चारपाई पर पड़ी थीं. चलने फिरने में असमर्थ होने के कारण वह घर के बाहरी दरवाजे तक भी नहीं पहुंच सकीं. दरवाजा अंदर से बंद था.
खौफनाक मंजर देख पसीने-पसीने हुए लोग
मकान के अंदर कमरे का खौफनाक मंजर देख मोहल्ले वाले और पुलिस वालों के पसीने छूट गए. कमरे में दो शव पड़े हुए थे. मोहल्ले वालों ने तीनों की शिनाख्त क्रमशः अरविंद गोयल, इलू गोयल और रंजना गोयल के रूप में की. पुलिस ने संक्रमित बेहद गंभीर महिला को एंबुलेंस से हॉस्पिटल पहुंचाया, जबकि पिता-पुत्र के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.