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सरकारी अस्पताल का हाल, अल्ट्रासाउंड जांच के लिए एक महीने बाद की तारीख

राजधानी के सरकारी अस्पताल में इन दिनों मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. वायरल बुखार से लेकर अन्य बीमारी से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं. जिसके चलते मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच (ultrasound scan) के लिए एक महीने बाद की तारीख दी जा रही है.

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Published : Nov 17, 2022, 11:31 AM IST

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लखनऊ :राजधानी के सरकारी अस्पताल में इन दिनों मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. वायरल बुखार से लेकर अन्य बीमारी से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं. जिसके चलते मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच (ultrasound scan) के लिए एक महीने बाद की तारीख दी जा रही है. जिसकी वजह से अस्पताल में पेट दर्द की समस्या से पीड़ित मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. वहीं फिजिशियन की ओपीडी में करीब दो हजार व सर्जन की ओपीडी में 800 से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.


चिनहट निवासी फुर्कान ने बताया कि सुबह 8 बजे से आए हैं. लाइन में लगे-लगे हालत खराब हो गई. दोपहर एक बजे डॉक्टर से मिल पाए हैं, वह भी जब डॉक्टर उठने वाले थे. कोई यहां पर कुछ बताने वाला नहीं है. बस केवल यहां से वहां भगाते रहते हैं. अगर बोल दें कि डॉक्टर साहब पेट दर्द हो रहा है, अल्ट्रासाउंड जांच करवा दीजिए तो 15 दिन या एक महीने बाद की तारीख मिलती है. कुछ दवाई यहां पर मिल जाती हैं और बाकी की दवाएं हमें बाहर से लेनी पड़ती हैं. समस्याएं यहां बहुत हैं.

बातचीत करतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला



डालीबाग निवासी अभिजीत गौड़ ने बताया कि सरकारी अस्पताल में इलाज कराने के लिए मरीज को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. एक लंबी लाइन में खड़े होकर सुबह से शाम हो जाती है, बिना खाए पिए इंसान अस्पताल आता है कि अल्ट्रासाउंड जांच हो जाएगा, लेकिन उसे एक महीने बाद की तारीख मिलती है. मरीज को बड़ी दिक्कत हो जाती है जब उसकी हालत गंभीर हो और उसे लाइन में लगकर दिखाना पड़े. मरीज के पेट में दर्द होने पर डॉक्टर अल्ट्रासाउंड जांच के लिए लिखते हैं, लेकिन जब काउंटर पर जाते हैं तो वहां पर 15 दिन बाद या एक महीने बाद का तारीख दी जाती है. समस्याएं बहुत हैं, लेकिन इलाज के लिए मरीज अस्पताल में आता है.

सिविल अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ अजय शर्मा (Dr. Ajay Sharma, Senior Surgeon, Civil Hospital) ने बताया कि अस्पताल में रोजाना सर्जरी विभाग में 800 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं. मौजूदा दौर में ज्यादातर मरीज पथरी व अपेंडिक्स के आते हैं. हर 10 में से तीन मरीज को पथरी की शिकायत रहती है. वर्तमान में तो इसका ऑपरेशन नहीं हो रहा है. बढ़ते डेंगू के मरीजों को देखते हुए एक महीने के लिए ऑपरेशन को टाल दिया गया है. सिर्फ इमरजेंसी में जो मरीज आ रहे हैं उन्हीं का ऑपरेशन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि हम जब मरीज को दवा लिखते हैं तो मरीज आग्रह करता है कि अल्ट्रासाउंड के लिए लिख दें. मरीज के पेट में क्यों दर्द हो रहा है यह जानना भी जरूरी है, इसलिए उसे अल्ट्रासाउंड जांच लिखते हैं. वहीं अल्ट्रासाउंड विभाग में डॉक्टर्स की कमी है. एक डॉक्टर रोजाना 50 लोगों का अल्ट्रासाउंड करते हैं.



सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ आरपी सिंह (CMS Dr RP Singh of Civil Hospital) के मुताबिक, अस्पताल में मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है. जिसकी वजह से ऐसी दिक्कतें आती हैं. अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के दो ही डॉक्टर हैं जो अल्टरनेट पर ड्यूटी करते हैं. ऐसे में मरीजों की संख्या जब अधिक रहती है तो रोजाना 50 अल्ट्रासाउंड औसतन होता है, ऐसे में अगर हम क्वांटिटी बढ़ाएंगे तो अल्ट्रासाउंड की गुणवत्ता में कमी आएगी. चिकित्सक भी जल्दी करेगा तो काफी दिक्कत हो जाएगी. कम अल्ट्रासाउंड हो, लेकिन अच्छी गुणवत्ता वाला होना चाहिए. एक अल्ट्रासाउंड में 10 से 15 मिनट का समय लगता है.

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