लखनऊ :राजधानी के आशियाना में रहने वाले प्रवीण पांडेय ने 28 दिसम्बर को बैंक के क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई किया, तीन दिन बाद उनका कार्ड उनके घर पर आ गया. उनके पास कार्ड एक्टिवेट करने के लिए कॉल आई और उसी दौरान उनके अकाउंट से 84489 रुपये उड़ गए. कमोवेश यही इंदिरानगर के रहने वाले विकास सिंह के साथ भी हुआ, उनके क्रेडिट कार्ड से करीब 34 हजार रुपये निकल गए. यह सिर्फ प्रवीण व विकास की कहानी नहीं है, बल्कि मौजूदा समय यूपी के हर साइबर थाने में आने वाले पीड़ितों के साथ हुई आप बीती है. ऐसे में साइबर सेल के अधिकारी इस तरह के फ्रॉड से चिंतित हैं. इसके पीछे का कारण ये है कि इसमें क्रेडिट कार्ड धारकों की हर डिटेल पहले से ही जालसाजों के पास मौजूद है और वो नए कस्टमरों को निशाना बना रहे हैं.
आशियाना थाने में प्रवीण पांडेय ने शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उनका आरोप है कि उन्होंने कुछ महीनों पहले SBI के क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई किया था, हालांकि बाद में उन्होंने SBI की एप्लिकेशन से उसे रद्द कर दिया. दिसम्बर में उनके पास बैंक से फिर कॉल आई और क्रेडिट कार्ड के लिए बातचीत की. इस बार उन्होंने कार्ड लेने के लिए सहमति दी और तीन दिन में ही उनके पास कार्ड पहुंच गया. कार्ड मिलते ही उनके पास फिर कॉल आती है और कहा जाता है कि कार्ड एक्टिवेट करने के लिए आपको कुछ निर्देश फॉलो करने होंगे. कॉल करने वाले के पास प्रवीण की पूरी डिटेल पहले से ही थी, ऐसे में उन्हें शक ही नहीं हुआ और उन्होंने बताए गए निर्देशों को फॉलो किया. थोड़ी देर बाद जब उन्होंने पहले से ही इंस्टॉल की हुई SBI क्रेडिट कार्ड एप्लिकेशन में चेक किया तो उनके अकाउंट से 84489 रुपए कट चुके थे.
यही स्थिति इंदिरानगर के विकास सिंह के साथ हुआ. वह हजरतगंज थाना अंतर्गत डालीबाग में बैठे हुए थे. उनके पास कुछ मार्केटिंग के लड़के आए और उनसे क्रेडिट कार्ड आसानी से बनवाने के लिए पूछा. जरूरत समझते हुए उन्होंने सहमति दी और जरूरी कागज देने के बाद 30 मिनटों में उनके कार्ड के लिए अप्रूवल आ गया. कुछ ही दिनों में उनके घर क्रेडिट कार्ड भी आ गया. कार्ड को एक्टिवेट करने के लिए उनके पास एक कॉल आई और प्रवीण की ही तरह उनके भी अकाउंट से 34431 रुपये कट गए.
वहीं पारा इलाके के सुनील कुमार के साथ फ्रॉड होने का तरीका दूसरा रहा. उन्होंने SBI के क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई किया और उनके पास कुछ दिनों बाद कार्ड पहुंच गया. उन्होंने एक्टिवेट करने के लिए कार्ड में लिखे टोल फ्री नंबर पर तत्काल कॉल की, लेकिन लाइन व्यस्त रहने पर बात नहीं हो सकी. इसके बाद उन्होंने गूगल से क्रेडिट कार्ड एक्टिवेट करने के लिए नंबर सर्च किया और वहीं से उन्होंने कॉल कर एक्टिवेट करने की रिक्वेस्ट की. कस्टमर केअर द्वारा बताई गई एप्लिकेशन डाउनलोड करने के बाद उन्हें बताया गया कि आपका कार्ड एक्टिवेट हो गया है. जब तीन दिन बाद उन्होंने बैंक की एप्लिकेशन में अपना क्रेडिट कार्ड अकाउंट चेक किया तो उससे 53789 रुपए कट चुके थे.
राजधानी में हुई इन तीन ठगी के लिए जब साइबर सेल के अधिकारी शिशिर यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि 'सिर्फ ये तीन केस ही नहीं, हमारे यहां रोजाना ऐसे पीड़ित आ रहे हैं. शिशिर कहते हैं कि 'बैंक स्कीम निकाल कर क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए आसान कागजातों के आधार पर कार्ड बना देती है. ऐसे में जल्दबाजी में लोग अति उत्सुकता में कार्ड आते ही उसे एक्टिवेट करने के लिए पहले कार्ड में लिखे टोल फ्री पर कॉल करते हैं और फिर जब वह नंबर नहीं रिसीव होता है तो गूगल से निकालकर कॉल करते हैं, जो साइबर फ्रॉड के नंबर होते हैं. वो कस्टमर से स्क्रीन शेयरिंग एप्लिकेशन डाउनलोड कराते हैं और कॉल के दौरान ही उनके ओटीपी उन्हें मिल जाते हैं और उसे मैसेज बॉक्स से डिलीट भी कर देते हैं. ऐसे में पीड़ित को पता ही नहीं चल पाता है कि उनके साथ ठगी भी हुई है, हालांकि वो दूसरे तरीके से इस फ्रॉड पर अभी जांच कर रहे हैं, जिसमें पीड़ितों के पास आने वाली कॉल से हो ठगी हो रही है.
बैंक फ्रॉड में हो रही बढ़ोतरी :साइबर एक्सपर्ट व यूपी पुलिस के साइबर सलाहकार राहुल मिश्रा बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में देश में ऑनलाइन फ्रॉड तेजी से बढ़ा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय-वर्ष 2020-21 में बैंक धोखाधड़ी के मामलों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में साफ है कि वित्त-वर्ष 2022 में धोखाधड़ी के मामलों की कुल संख्या 9,103 है, जो वित्त-वर्ष 2021 में 7,359 मामलों से अधिक है. खासकर क्रेडिट कार्ड से संबंधित धोखाधड़ी काफी बढ़ गई है.
ठगी से कैसे बचें :साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे बताते हैं कि क्रेडिट कार्ड कस्टमर को संदिग्ध वेबसाइट पर अपने कार्ड के इस्तेमाल से बचना चाहिए. ऐसी संदिग्ध वेबसाइटों को कार्ड की जानकारी नहीं देनी चाहिए, क्योंकि वे डेटा चुरा सकते हैं. किसी भी वेबसाइट पर दिखने वाले प्रचार पर बिना पुष्टि किए भरोसा नहीं करना चाहिए. पुष्टि करें कि जिस भी साइट पर आप अपने कार्ड की डिटेल शेयर कर रहे हैं, उसके URL में 'https' है या नहीं, साथ ही यह जांच जरुर करें कि वेबसाइट के पास एसएसएल प्रमाण-पत्र है. असुरक्षित वेबसाइटों के पास एसएसएल प्रमाण-पत्र नहीं होते हैं.
उन्होंने बताया कि क्रेडिट कार्ड से जुड़ी धोखाधड़ी कार्ड की क्लोनिंग या कार्ड का डेटा चोरी होने से होती है. ऐसे में आपको भरोसेमंद एप्लिकेशन का ही इस्तेमाल करना चाहिए. हर जगह और खासकर कुछ भी संदिग्ध लगने पर कार्ड स्वैप करने से बचना चाहिए. किसी के साथ भी कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट, सीवीवी, अपनी जन्म तिथि या ओटीपी शेयर ना करें. बैंक के ऐप में जाकर हर ट्रांजैक्शन की लिमिट सेट करें.
उन्होंने बताया कि क्रेडिट कार्ड कस्टमर को अपने क्रेडिट कार्ड के स्टेटमेंट पर नजर रखनी चाहिए, ताकि वे उन खरीदारी या ट्रांजैक्शन को देख सकें जो उन्होंने नहीं की है. कार्डधारक बैंक द्वारा लगाए गए अनधिकृत शुल्क या जुर्माना की जांच भी कर सकते हैं.
उन्होंने बताया कि पीड़ित को जैसे ही ठगी होने की जानकारी मिले या क्रेडिट कार्ड चोरी हो जाए, तत्काल बैंक को सूचित करें और कार्ड को ब्लॉक करवाएं. इसके तुरंत बाद ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराएं. भविष्य में किसी भी तरह की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इसका रेफरेंस नंबर जरुर लें. बैंक के कस्टमर केयर से बात करें.
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