लखनऊ : बाराबंकी के दीपेंद्र के पास उनके एक रिश्तेदार ने वीडियो कॉल की और उनसे तुरंत 15 हजार रुपये की मांग की. दीपेंद्र ने उन्हें उनके द्वारा बताए गए यूपीआई नंबर पर पैसे भेज दिए. पैसे भेजे जाने पर जब कन्फर्म करने के लिए दीपेंद्र ने रिश्तेदार को कॉल की तो पता चला कि उन्होंने वीडियो कॉल की ही नहीं थी. दीपेंद्र ने खुद के साथ हुई ठगी की शिकायत साइबर सेल से की है. ऐसी ही शिकायत राजधानी में भी आई हैं. ऐसे में साइबर पुलिस सतर्क हो गई है. क्योंकि साइबर अपराधी ठगने के लिए आर्टिफिशियल इंटीलिजेंस टेक्नोलॉजी (AI) का इस्तमाल करने लगे हैं.
यूपी पुलिस के साइबर सलाहकार अमित दुबे बताते हैं कि वर्तमान में सबसे अधिक चर्चा में आर्टिफिशियल इंटीलिजेंस (एआई टेक्नोलॉजी) है. इससे जहां एक तरफ नई क्रांति आने की उम्मीद है, वहीं इसका अपराधी भी फायदा उठा रहे हैं. अमित दुबे के अनुसार पहले साइबर ठग फेसबुक, व्हाट्सएप पर फर्जी अकाउंट बनाकर उसमें शिकार के करीबी दोस्तों और रिश्तेदारों की तस्वीर लगाते थे, लेकिन अब यह तरीका पुराना हो चुका है. साइबर ठग आर्टिफिशियल इंटीलिजेंस की डीपफेक तकनीकी का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह तकनीकी काफी खतरनाक है, क्योंकि इसमें अब आपके जानने वालों के अकाउंट के साथ वीडियो कॉलिंग से बातचीत कर पैसा उड़ा रहे हैं.