जानकारी देते साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे . लखनऊ :गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं. ऐसे में अब आप अगर हिल स्टेशन में जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए. कुछ ऐसे ठग हैं जो आपकी इस प्लानिंग में ग्रहण लगा सकते हैं. इसके पीछे का कारण आमतौर पर लोग समर वैकेशन के लिए घर बैठ कर ही इंटरनेट पर ट्रेन व प्लेन टिकट और होटल की बुकिंग ऑनलाइन कर लेते हैं. बस इसी को जालसाज टारगेट बना रहे हैं. यह जालसाजी कैसे हो रही है, कैसे जालसाज आपकी इस वैकेशन को बर्बाद कर सकते हैं. जानने के लिए इस खबर को पढ़ना जरूरी है.
राजधानी के सरोजनीनगर के रहने वाले अमित अग्रवाल की बेटियों के स्कूल बंद हुए तो उन्होंने अपने परिवार के साथ मनाली जाने की प्लानिंग की. इंटरनेट पर उन्होंने कुछ रिसोर्ट सर्च किए और उनमें से पसंद किए गए एक रिसोर्ट के दो रूम चार दिनों के लिए ऑनलाइन बुक कर लिए. अमित परिवार के साथ जब मनाली के उस रिसोर्ट में पहुंचे तो वहां उन्हें पता चला कि न ही वहां उनकी बुकिंग हुई है और न ही कोई पेमेंट, अमित ने जब बुकिंग वाली वेबसाइट दिखाई तो तो उन्हें पता चला कि वो फर्जी वेबसाइट थी जो हूबहू उसी रिसोर्ट के नाम से बनाई गई थी. अमित ने लखनऊ वापस आकर साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है.
साइबर अपराध से बचने के टिप्स.
महानगर के रहने वाले अंकुर महिंद्रा को 10 मई उत्तराखंड टूर पर जाना था. उन्होंने इंटरनेट में टूरिस्ट एजेंसी सर्च कर वहां से एक इनोवा गाड़ी बुक कर ली. इसके लिए उनसे 15 हजार रुपये एडवांस में यूपीआई के जरिए मंगवा लिए गए. 15 मई को अंकुर गाड़ी का इंतजार करते रहे, लेकिन गाड़ी नहीं पहुंची. इसके बाद उन्होंने टूरिस्ट एजेंसी को कॉल की, लेकिन वह नंबर बंद मिला. कई दिन तक फोन बंद जाने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि वह साइबर ठगी का शिकार हुए हैं और साइबर सेल में शिकायत दर्ज करवाई.
राजधानी के अमित और अंकुर जैसे ही न जाने कितने ऐसे लोग हैं जो इन गर्मियों की छुट्टियों में ठगी का शिकार हो रहे हैं. इनकी गलती बस इतनी रही कि इन्होंने बुकिंग के समय लापरवाही बरती और किसी भी वेबसाइट पर भरोसा कर अपने अकाउंट खाली करवा लिए. राजधानी के साइबर सेल प्रभारी सतीश साहू बताते हैं कि साइबर ठगों ने इंटरनेट पर ठगी करने के लिए एक बड़ा जाल फैला रखा है. इसके लिए फर्जी आईडी के सिम, कंपनी के नाम पर हल्का सा बदलाव कर फर्जी वेबसाइट का प्रयोग कर रोजाना सैकड़ों लोगों के साथ ठगी करते हैं. खासकर मई और जून में इनके लिए लोगों को ठगना आसान हो जाता है, क्योंकि लोग इन दोनों माह में समर वैकेशन की प्लानिंग करते हैं और उत्सुकता में बुकिंग करते वक्त लोग छोटी गलतियां कर देते हैं. जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है.
साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे कहते हैं कि जालसाज लोगों को ठगने के लिए अपनी फर्जी वेबसाइट का सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) करा कर इंटरनेट के सर्च इंजन पर सबसे ऊपर ले आते हैं. ऐसे में लोग जब होटल और टूरिस्ट कंपनियों को सर्च करते हैं तो सबसे पहले फर्जी वेबसाइट सबसे ऊपर खुल जाती है. लोग उसी वेबसाइट के झांसे में आकर ऑनलाइन या कॉल कर बुकिंग करते हैं और उन्हें एडवांस पेमेंट कर देते हैं. अकाउंट में रुपये पहुंचते ही खाते और मोबाइल नंबर बंद करा दिए जाते हैं.
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