लखनऊ: लोग अपने रिश्तेदारों की कॉल से घबराने लगे हैं. अथिति सत्कार से बचने से नही बल्कि बैंक खाता खाली न हो जाए इस डर से कॉल करने वाले रिश्तेदार की आवाज सुनते ही लोग फोन काट दे रहे हैं. वजह साइबर क्रिमनल्स (cyber criminals) के ठगने का एक खास तरीका है. इसका इस्तेमाल कर ठग शिकार का एक झटके में खाता खाली कर दे रहे हैं. दरअसल, साइबर ठग (cyber fraudsters) लोगों को ठगने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं. वे किसी को दोस्त तो किसी को रिश्तेदार का परिचित बताकर खाते में रुपये डलवाने का झांसा देते हैं. भरोसा कर पीड़ित कॉल करने वाले की बातों में आ जाता है और उसके बताए गए निर्देशों का पालन करते ही बैंक खाता खाली हो जाता है.
सरोजनीनगर के विकास शुक्ला के मोबाइल में एक अनजान नम्बर से कॉल आई. कॉल करने वाले ने विकास का नाम लेते हुए प्रणाम बोला और कहा कि कैसे हैं...पहचाना? विकास जब तक कुछ कहते उसने कहा कि मैं गुड़िया का पति बोल रहा हूं. कुछ देर सोचने के बाद विकास बोले अरे फूफा जी नमस्कार. कॉल करने वाले ने अभिवादन स्वीकार किया और फिर शुरू हुआ विकास को साइबर जाल में फंसाने का सिलसिला. लखनऊ में रोजाना ऐसी कॉल दर्जनों लोगों के पास आ रही है, कुछ अपनी जागरूकता के चलते बच जा रहे है लेकिन कई साइबर क्रिमिनल्स के जाल में फंसकर अपनी मेहनत की कमाई लुटा चुके हैं.
राहुल मिश्रा के मुताबिक साइबर क्रिमनल्स पैसा भेजने की बात कहने के बाद एक क्यू आर कोड भेजते है. शिकार को इस क्यू आर कोड को स्कैन करने के लिए कहा जाता है जिससे अमाउंट शिकार को मिल जाए. भरोसे में आकर जैसे ही उस क्यू आर कोड को स्कैन कर खाते में पैसे चेक करने के लिए पिन इंटर करते है, खाते से पैसे उड़ जाते है. राहुल के मुताबिक, साइबर ठग जो क्यू आर कोड भेजते है, उसमें यह लिख देते है कि 10 हजार (जितनी रकम भेजी जा रही हो) रिसीवड, जिससे शिकार को लगता है कि उन्हें पैसा मिलेगा जबकि किसी क्यूआर कोड को स्कैन करने से पैसा कटता है, मिलता नहीं.
लखनऊ के साइबर क्राइम सेल प्रभारी रणजीत राय ने बताया कि ऑनलाइन फ्राड के मामले हर रोज ऐसे तरीकों से ही ठगे गए लोग पीड़ित होकर शिकायत लेकर आते है. इस तरह की वारदात मेवाती गैंग अंजाम दे रहा है. एक जनवरी से अब तक 3100 साइबर फ्राड में मामले आ चुके है, ज्यादातर मेवाती गैंग से जुड़े है.
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