लखनऊ: साइबर अपराध के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं. वही इन अपराधों की शिकार महिलाएं भी है. हालांकि प्रदेश में 18 साइबर थाने खोल दिए गए हैं, लेकिन फिर भी रोज घट रहे नए-नए तरह के अपराध से लोग लगातार जालसाजी का शिकार हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश में महिलाएं साइबर क्राइम का सबसे ज्यादा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिकार हो रही है. वहीं महिलाओं के खिलाफ ज्यादातर साइबर अपराध उनके परिचित द्वारा किए जा रहे हैं. वहीं महिलाओं को साइबर अपराध से बचाने के लिए प्रभावी कानून भी उनकी सुरक्षा नहीं कर पा रहा है. बीते साल 2020 में 136 साइबर अपराध की शिकार महिलाओं के मामले राज्य महिला आयोग ने दर्ज किए गए हैं. वहीं महिला आयोग के द्वारा पीड़ित महिलाओं को साइबर क्राइम सेल की मदद से मदद की जा रही है.
साइबर अपराध की शिकार महिलाओं का सहारा महिला आयोग
राज्य महिला आयोग के पास जहां महिला उत्पीड़न से संबंधित हर तरह की शिकायतें पहुंचती है, तो वहीं बीते साल 2020 में साइबर अपराध की शिकार महिलाओं की शिकायतें भी खूब पहुंची. साइबर अपराध की शिकार ज्यादातर महिलाएं थाने में शिकायत न करके सीधे राज्य महिला आयोग में शिकायत करती है. क्योंकि उनके साथ ज्यादातर मामले उनके अपने परिचित या प्रेमियों के द्वारा उन्हें बदनाम करने और अश्लील वीडियो के माध्यम से ब्लैकमेल करने के हैं. बीते साल में कुल 136 साइबर अपराध की शिकार महिला आयोग के पास सामने आई है. वहीं आयोग के द्वारा इन शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए भी पुलिस की मदद ली जा रही है.
साइबर स्टॉकिंग
राज्य महिला आयोग के पास पहुंचे मामलों में सबसे ज्यादा साइबरस्टॉकिंग के मामले हैं. इस तरह के अपराध में ऑनलाइन उत्पीड़न और ऑनलाइन दुरुपयोग के लिए किसी को परेशान करने के लिए इंटरनेट का उपयोग किया जाता है. इस तरह के अपराध में पीड़ित महिला को सोशल मीडिया के माध्यम से बदनाम करने की कोशिश होती है.