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साइबर क्राइम में यूपी नंबर वन

साइबर अपराधियों से निपटने के लिए पुलिस लगातार कोशिश कर रही है. इस बीच हकीकत यह है कि एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश साइबर क्राइम के मामले में नंबर वन है. राज्य में साइबर अपराधियों से निपटने के लिए 18 साइबर थाने भी बनाए गए हैं.

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Published : Dec 30, 2020, 8:25 PM IST

यूपी में साइबर क्राइम.
यूपी में साइबर क्राइम.

लखनऊ :देश में बढ़ते इंटरनेट यूजर की संख्या और बढ़ते डिजिटल लेनदेन की सुविधा की वजह से साइबर अपराध का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है. थानों में दर्ज होने वाले अपराध में हर छठा व्यक्ति साइबर अपराध का शिकार हो रहा है. उत्तर प्रदेश में बढ़ते हुए साइबर अपराध को रोकने के लिए अट्ठारह साइबर थाने खोल दिए गए हैं लेकिन चुनौतियां फिर भी बरकरार हैं. डिजिटलाइजेशन ने यूपी को साइबर अपराध में नंबर वन बना दिया.

यूपी में साइबर क्राइम.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में पिछले 10 साल में साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी में भी 9 गुना बढ़ोतरी हुई है. साल 2005 में जहां 569 साइबर अपराधी पकड़े गए थे, वहीं 2014 में इनकी संख्या 5,752 हो गई. साल 2018 में यह आंकड़े 28,248 पहुंच गए. 2019 में साइबर क्राइम के 44,546 मामले सामने आए. इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि किस तेजी से साइबर अपराध के मामले बढ़ रहे हैं.

पुलिस कर रही लोगों को जागरुक

वहीं पुलिस बढ़ते हुए साइबर अपराध को रोकने के लिए अब लोगों को जागरूक करने का काम भी कर रही है क्योंकि लोगों को जागरुक कर ही साइबर क्राइम का शिकार होने से उन्हें बचाया जा सकता है.

उत्तर प्रदेश में बढ़ रहे साइबर अपराध के मामले

साइबर क्राइम के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. आंकड़ों के मुताबिक 2019 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में 7.3 प्रतिशत और साइबर अपराध में लगभग 63 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2019 के आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश साइबर क्राइम में पहले स्थान पर है. उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध की संख्या 11,416 रही. दूसरा नम्बर कनार्टक का है. 2019 में साइबर क्राइम के करीब 44,546 मामले सामने आए हैं, जबकि साल 2018 में यह आंकडे 28,248 थे. इस हिसाब से साइबर क्राइम के मामले में पिछले साल 64% की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, साल 2017 में साइबर क्राइम के 21,796 मामले दर्ज किए गए थे.

बैंकिंग फ्रॉड से जुड़े हैं अधिकतर मामले

साइबर अपराध के मामलों में जालसाज का एक ही लक्ष्य रहता है कि वह किस तरह से लोगों की गाढ़ी कमाई में सेंध लगा सके. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 में जो साइबर क्राइम रजिस्टर्ड हुए हैं, उनमें से 60 फ़ीसदी से अधिक केस का मकसद फ्रॉड करना था. इसके साथ ही करीब 5 फ़ीसदी केस ऐसे रहे हैं जिनमें शारीरिक शोषण करना भी मकसद रहा है.

साइबर अपराध से कैसे निपटती है पुलिस

साइबर अपराधों को रोकने के लिए प्रदेश के 18 जनपदों में साइबर थाने स्थापित किये गए हैं. साइबर क्राइम के जो भी मामले आते हैं, उन्हें सर्विलांस के माध्यम से सुलझाया जाता है. अगर मामला ज्यादा गंभीर है तो उनको स्थापित साइबर क्राइम थानों को भेज दिया जाता है.

साइबर अपराध से निपटना बड़ी चुनौती

लखनऊ जोन के एडीजी एस एन साबत बताते हैं जिस तेजी से साइबर अपराध की संख्या बढ़ रही है, उनके लिए यह एक बड़ी चुनौती है. साबत कहते हैं कि साइबर सेल, साइबर थाने और क्राइम ब्रांच के साथ ही एसटीएफ की यूनिट भी साइबर अपराधियों से निपटने में लगी है. समय-समय पर साइबर अपराधियों से निपटने के लिए साइबर वर्कशॉप का भी आयोजन किया जाता है, ताकि लोगों को जागरुक किया जा सके. लोगों के सावधान रहने पर ही साइबर अपराधियों से निपटा जा सकता है.

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