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'टू स्टेप ओटीपी प्रोग्रामिंग से लगाई जा सकती है साइबर क्राइम पर लगाम'

साइबर क्राइम उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है. तमाम प्रयासों के बावजूद भी साइबर क्राइम पर लगाम नहीं लग पा रहा है. ऐसे में अगर ऑनलाइन ट्रांजैक्शन व ऑनलाइन बैंकिंग को और मजबूत और बेहतर बनाया जाए, तो काफी हद तक साइबर क्राइम पर लगाम लगाई जा सकती है. जानिए कैसे...

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Published : Nov 16, 2020, 1:18 PM IST

एसीपी साइबर क्राइम विवेक रंजन राय
एसीपी साइबर क्राइम विवेक रंजन राय

लखनऊ :साइबर क्राइम उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है. तमाम प्रयासों के बावजूद भी साइबर क्राइम पर लगाम नहीं लग पा रहा है. ऐसे में अगर ऑनलाइन ट्रांजैक्शन व ऑनलाइन बैंकिंग को और मजबूत और बेहतर बनाया जाए, तो काफी हद तक साइबर क्राइम पर लगाम लगाई जा सकती है. एसीपी साइबर क्राइम विवेक रंजन राय का कहना है कि अगर "टू स्टेप ओटीपी प्रोग्रामिंग" का प्रयोग ऑनलाइन बैंकिंग के लिए किया जाए, तो काफी हद तक साइबर क्राइम पर लगाम लगाई जा सकती है.

साइबर क्राइम पर ऐसे लगाई जा सकती है लगाम

लगातार सामने आ रही साइबर क्राइम की घटनाएं

राजधानी लखनऊ में लगातार साइबर क्राइम की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. बीते दिनों लोगों के एटीएम नंबर व ओटीपी प्राप्त कर ठगी करने वाले एक नाइजीरियन ग्रुप को लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार किया था. हर रोज खातों से साइबर ठगों द्वारा पैसे निकालने की शिकायतें साइबर सेल को मिल रही हैं. सबसे ज्यादा शिकायतें फोन पर ओटीपी प्राप्त कर खातों से पैसे उड़ाने की मिल रही हैं. बीते दिनों साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश के सभी जोन में साइबर थाने खोले गए व एडीजी स्तर के अधिकारी को साइबर क्राइम पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी. इसके बाद भी साइबर क्राइम पर लगाम नहीं लग पा रहा है. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर क्यों साइबर क्राइम आम जनता सहित पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ, इस पर कब लगाम लग पाएगा ?

उत्तर प्रदेश पुलिस

ऑनलाइन बैंकिंग को करना होगा सुरक्षित

एसीपी विवेक रंजन राय ने बताया कि साइबर क्रिमिनल काफी एक्सपोर्ट होते हैं और वह लोगों से बातचीत में उनका ओटीपी प्राप्त कर लेते हैं. अभी तक वन स्टेप ओटीपी प्रोग्रामिंग का सिस्टम है. ऐसे में बातचीत के दौरान साइबर क्रिमिनल द्वारा ओटीपी प्राप्त करना कई मायने में आसान होता है. लेकिन अगर इसी वन स्टेप ओटीपी प्रोग्रामिंग को डबल (दो) स्टेप ओटीपी प्रोग्रामिंग में बदल दिया जाए, तो साइबर क्रिमिनल्स को दो ओटीपी की आवश्यकता होगी और दो ओटीपी देने के बीच में थोड़ा सा गैप होगा. ऐसे में लोग ओटीपी मांगने वाले के बारे में विचार कर पाएंगे कि वह सही है या गलत है और इससे काफी हद तक साइबर क्राइम पर लगाम लग सकेगी.

साइबर क्राइम उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए बना सिरदर्द.

डबल ओटीपी प्रोग्रामिंग से ऐसे मिल सकती है राहत

विवेक रंजन राय ने उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे कि आपके मोबाइल पर किसी का फोन आता है और वह आपसे बैंक में डिटेल फीट करने के लिए ओटीपी मांगता है और आपने एक बार ओटीपी दे भी दी, और उसके कुछ ही सेकंड में आपके पास बैंक से एक मैसेज आता है कि आपके अकाउंट से पैसा निकालने के लिए ओटीपी का प्रयोग किया गया है, क्या आप यह ओटीपी यूज कर रहे हैं ? ऐसा होने से आप तुरंत समझ जाएंगे कि आपकी ओटीपी का दुरुपयोग हो रहा है. आप बैंक द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब न में देंगे, जिससे आपके अकाउंट से पैसा निकलने से बच जाएगा. और साइबर क्राइम करने वाले अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाएंगे.

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