लखनऊ : इतिहास से पता चलता है कि जीवन को बदलने वाले तकनीकी नवप्रवर्तन हमेशा अंतर्विषयक सहयोग के परिणामस्वरूप हुए हैं. एसटीईएम में हाल के विकास ने एक बार फिर साबित किया है कि विज्ञान आगे का रास्ता दिखाता है, लेकिन यह प्रौद्योगिकी है जो गुणवत्ता वाले उत्पादन को उत्कृष्ट बनाती है. यह बातें भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर) कि 59 वां स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि आईएएस अध्यक्ष डॉ. अशोक दलवाई (किसानों की आय दोगुनी करने संबंधी समिति व पूर्व सीईओ राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार) ने कहीं. इस दौरान ओडिशा ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (ओएसपीसीबी) और आईआईटीआर के बीच एमओयू भी हुआ.
सीएसआईआर-आईआईटीआर के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण ने बताया कि बीते 25 साल से संस्थान वायु प्रदूषण के ऊपर लगातार काम कर रहा है. वायु प्रदूषण के विभिन्न कारक हैं. वर्तमान में वायु प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है. कोरोना काल में प्रदेश की आबोहवा बिल्कुल सुधर गई थी. ऐसा भी नहीं हो सकता कि विकास के कामों को रोका जा सके. जाहिर तौर पर लगातार विकास का काम चल रहा है. जोकि उचित भी है, लेकिन कुछ ऐसा उपाय शासन को जरूर करना होगा. जिससे विकास के काम भी हो सकें और वायु प्रदूषण को भी कम किया जा सके. इस पर काम चल रहा है. साथ ही जो करक मुख्य पाए गए हैं, उसको लिखित तौर पर शासन को भेजे गए हैं. डॉ. योगेश्वर शुक्ला, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर व अध्यक्ष, आयोजन समिति ने अतिथियों का स्वागत किया. इसके बाद डॉ. एन. कलेसेल्वी, महानिदेशक, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद व सचिव, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग का संदेश पढ़ा गया.