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संगम में प्रवाहित नहीं होंगे चढ़ावे के फूल, ऐसे महकाएंगे आराधना स्थल

मंदिरों में चढ़े फूलों से अब सुगंधित अगरबत्ती और कोन का निर्माण किया जाएगा. इसके लिए बुधवार को CSIR-CIMAP ने मेसर्स ग्रीन ड्रीम भारत, नैनी, प्रयागराज के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए.

संगम  में नहीं प्रवहित होंगे चढ़ावे के फूल
संगम में नहीं प्रवहित होंगे चढ़ावे के फूल

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Published : Jan 6, 2021, 9:16 PM IST

लखनऊ:चढ़ावे के फूलों को अब संगम में प्रवाहित नहीं किया जाएगा. इसके लिए बुधवार को सीएसआईआर-सीमैप ने मेसर्स ग्रीन ड्रीम भारत-ए-प्रयागराज के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए. समझौते के अनुसार, मंदिरों में चढ़े फूलों से सुगंधित अगरबत्ती और कोन बनाए जाएंगे. इससे महिलाओं को भी रोजगार मिलेगा.

तकनीक की हस्तांतरित
गोरखपुर, अयोध्या, बनारस, लखनऊ, लखीमपुर में महिलाओं के साथ-साथ जिला कारागार में भी इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस निर्णय से महिलाओं को रोजगार मिलेगा. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (CSIR-CIMAP) लखनऊ ने मंदिरों में चढ़े फूलों से सुगंधित अगरबत्ती और कोन बनाने की तकनीक को मेसर्स ग्रीन ड्रीम भारत, नैनी, प्रयागराज को हस्तांतरित किया है.

अपना उत्पाद बाजार में उतारने का लिया निर्णय
कंपनी के प्रमुख अभय मेहरोत्रा आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग करने के बाद पिछले 16 वर्षों से कॉर्पोरेट जगत में कार्य कर रहे थे. इन्होंने 6 वर्ष देश की कंपनी प्रमुख का दायित्व लिया था. मेसर्स ग्रीन ड्रीम भारत प्रयागराज ने सीएसआईआर-सीमैप से मंदिरों में चढ़े फूलों से सुगंधित अगरबत्ती और कोन बनाने की तकनीकी को प्राप्त कर अपने ब्रांड का उत्पाद बाजार में उतारने का फैसला लिया है.

शरीर पर नहीं पड़ता दुष्प्रभाव
मंदिरों में चढ़े फूलों से निर्मित सुगंधित अगरबत्ती एवं कोन में हर्बल तत्व और सुगंधित तेल उपयोग में लाए जाते हैं. इसका शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता. इस समझौते पर मेसर्स ग्रीन ड्रीम भारत, नैनी, प्रयागराज के निदेशक अभय मेहरोत्रा और सीएसआईआर-सीमैप के प्रशासन अधिकारी ने हस्ताक्षर किए.

मिलेगा महिलाओं को रोजगार
कंपनी जल्द ही अपनी विनिर्माण सुविधा में उत्पादन शुरू करेगी. प्रयागराज के आस-पास के गावों में गरीब महिलाओं और शिक्षित बेरोजगारों को काम देकर उत्पाद को देश और विदेश के बाजार में उतारने का लक्ष्य है. एक सर्वेक्षण के अनुसार, प्रयागराज में लगभग 2 से 2.5 टन फूल प्रतिदिन मंदिरों और अन्य पूजा स्थलों पर चढ़ाये जाते हैं. इन्हें संगम में प्रवाहित करने पर जल प्रदूषण होता है. इस तकनीक से प्रदूषण से मुक्ति और महिलाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद है.

ये बोले निदेशक
सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि इन उत्पादों को सीएसआईआर-सीमैप की ओर से वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किया गया है. ये उत्पाद मंदिर में चढ़े फूलों से और सुगंधित तेलों से बने होते हैं. इस कंपनी के उत्पादन से देश में फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी आर्थिक लाभ होगा.

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