लखनऊ: राजधानी लखनऊ में भले ही पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी गई हो, लेकिन वकील के पेशे के नाम पर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधियों पर लगाम नहीं लग पा रही है. पिछले दिनों राजधानी लखनऊ के सिविल कोर्ट परिसर में लखनऊ बार के दो पदाधिकारियों के बीच संघर्ष हो गया, जिसमें एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर देसी बम से हमला कर दिया. जवाबी कार्रवाई में दूसरे पक्ष के वकील की जमकर पिटाई कर दी गई. इस पूरी घटना के बाद लखनऊ पुलिस ने तीन एफआईआर दर्ज की है और अब तक देसी बम फेंकने के मुख्य आरोपी जीतू यादव को गिरफ्तार किया गया है. हालांकि न्यायालय ने जीतू यादव का जमानत दे दी है.
इस घटना से राजधानी लखनऊ की जनता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा. ऐसे में एक बार फिर यह सवाल उठ रहा है कि आखिर कब तक अपराधी वकील पेशे का सहारा लेकर कानूनी दांवपेच से अपने आप को बचाते रहेंगे. आखिर कब इन पर लगाम लगेगी? वकील पेशे में छिपे अपराधियों की यह पहली घटना नहीं थी. इससे पहले भी राजधानी लखनऊ में तमाम ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने सवाल खड़े किए कि आखिर आपराधिक प्रवृति के लोग कब तक वकीली पेशे का फायदा उठाएंगे?
राजधानी बनी इन घटनाओं की गवाह
वकीलों की दबंगई से जुड़ी राजधानी की बड़ी घटनाओं में एक घटना है, जब व्यापारियों के बड़े नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद बनवारी लाल कंछल की कुछ वकीलों ने कोर्ट परिसर में जमकर पिटाई कर दी. उनके कपड़े तक फाड़ दिए. इस दौरान दबंग वकीलों ने न सिर्फ बनवारी लाल कंछल की पिटाई की बल्कि उन्हें मुर्गा बनाया. यह घटना 6 दिसंबर 2014 की है. एक जमीन विवाद को लेकर वकील और व्यापारियों में मतभेद था, जिसको लेकर वकीलों ने इस घटना को अंजाम दिया. जिस तरीके से वकीलों ने पूर्व राज्यसभा सांसद की सरेआम पिटाई की इससे वकीलों को लेकर लखनऊ में दहशत का माहौल बन गया. इसके बाद से लगातार वकीलों द्वारा हिंसा की छिटपुट घटनाएं होती रहीं.
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