लखनऊ : महराजगंज की नौतनवा सीट से निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी को गुरुवार के दिन लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली. कोर्ट ने अमनमणि त्रिपाठी को गोरखपुर के ठेकेदार ऋषि कुमार पांडेय के अपहण के मामले में बरी कर दिया है. इसके साथ ही अमनमणि त्रिपाठी का राजनीतिक भविष्य फिलहाल तो बच गया है. लेकिन, वो कब तक सलाखों के पीछे जाने से बच सकेंगे ये नहीं कहा जा सकता. क्योंकि अमनमणि से जुड़े विवादों की फेहरिस्त काफी लम्बी है.
इस मामले में हुए बरी
गोरखपुर के ठेकेदार ऋषि कुमार पांडेय ने 06 अगस्त 2014 को अमनमणि त्रिपाठी और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर में अमनमणि व उसके दो साथियों संदीप त्रिपाठी व रवि शुक्ला पर अपहरण कर फिरौती मांगने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था. विवेचना के बाद पुलिस ने इस मामले में अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 364, 386, 504 व 506 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया था. 28 जुलाई, 2017 को अदालत ने अमनमणि समेत तीनों अभियुक्तों पर आरोप तय किया था. जिसके बाद अमनमणि त्रिपाठी ने इसी साल 26 मार्च को लखनऊ के एमपी-एमएलए कोर्ट के समक्ष अपहरण के मामले में आत्मसमर्पण किया था. इसके बाद विशेष जज पवन कुमार राय ने अमनमणि के खिलाफ जारी वारंट को निरस्त करते हुए उन्हें 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी.
लखनऊ में जमीन कब्जा करने का आरोप
अमनमणि का नाम पहली बार 2014 में लखनऊ में एक जमीन कब्जा करने के मामले में सामने आया था. लखनऊ के रहने वाले एक व्यक्ति ने अमनमणि के ऊपर अपनी जमीन कब्जा करने का आरोप लगया था. पीड़त आयुष के मुताबिक उनके पास लखनऊ के चिनहट थाना क्षेत्र के पपनामऊ इलाके में 22.5 बीघा जमीन थी. 2012 में उसने इसकी रजिस्ट्री करवाई थी, लेकिन इसके बाद उस पर पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनके बेटे अमनमणि ने कब्जा कर लिया. आयुष के मुताबिक उसने दो बाद इस मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ से भी शिकायत की. एक बार लखनऊ में और एक बार गोरखपुर में जनता दरबार के दौरान. को गोरखपुर जनता दरबार में मिलने पर सीएम ने लखनऊ एसएसपी को जांच के आदेश दिए थे, लेकिन एक महीने बाद भी केस में उचित कार्रवाई न होने पर वह फिर जब सीएम से मिलने पहुंचा तो उन्होंने उसे वहां से भगा दिया. उधर इस मामले में लखनऊ के तत्कालीन डीएम डीएम कौशल राज ने बाद में बयान दिया कि मामला कोर्ट में है. जमीन के 8 सहखाताधारक हैं. जमीन पर बंटवारा होना है. आयुष की शिकायत पर मामले की जांच करवाई गई थी. डीएम कौशल राज ने यह भी बताया कि सुनवाई के दौरान कोर्ट में आयुष सिंघल की तरफ से कोई पक्षकार पेश नहीं हुआ. डीएम डीएम कौशल राज के मुताबिक इस जमीन में सिंचाई विभाग का भी हिस्सा है.
अमनमणि पर पत्नी पर हत्या का आरोप
अमनमणि पर अपनी पत्नी सारा सिंह की हत्या का भी आरोप है. सारा की मौत की जांच सीबीआई ने की थी. इस मामले में सीबीआई कोर्ट में सुनवाई जारी है. बता दें कि अमनमणि त्रिपाठी 9 जुलाई 2015 को पत्नी सारा सिंह के साथ कार से लखनऊ से दिल्ली जा रहे थे. इस दौरान फिरोजाबाद में हाईवे पर उनकी कार कथित तौर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस हादसे में सारा सिंह की मौत हो गई, जबकि अमनमणि त्रिपाठी को खरोंच तक नहीं आई. इसके बाद सारा की मां सीमा सिंह ने इसे साजिश बताकर अमनमणि त्रिपाठी पर 18 जुलाई को हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. सीमा सिंह की मांग पर ये मामला सीबीआई को सौंप दिया गया और 14 अक्तूबर 2015 से इस मामले में जांच शुरू कर दी.