लखनऊ :प्रदेश में किशोरों (Teenagers) में क्राइम की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. नेशनल क्राइम ब्यूरो रिकार्ड के अनुसार, यह आंकड़ा एक दशक में एक प्रतिशत से 28 प्रतिशत तक पहुंच गया है. कुल हो रहे अपराधों में सबसे ज्यादा 16-18 साल के बच्चों के शामिल होने की बात सामने आ रही है जिसका औसत 63 फीसदी है.
वहीं, 12 से 16 साल तक के बच्चों की तादात 33.2 फीसदी है. यह रिकार्ड बदलते परिवेश और आधुनिकता की चकाचौंध के चलते देखा जा रहा है. बीते 11 मई 2021 को गुडंबा थाना क्षेत्र के गुडंबा गांव में एक 15 वर्ष के बच्चे ने अपने 13 साल के साथी की गला दबाकर हत्या कर दी. यहीं नहीं, हत्या के बाद शव को ईंट से नीचे दबाकर भाग निकला. हत्या के पीछे मां से सिगरेट पीने की शिकायत का सच सामने आया था. इससे पहले भी राजधानी में नाबालिग हत्या, हत्या के प्रयास और रेप जैसे जघन्य वारदातों को अंजाम दे चुके हैं. पारा स्थित संप्रेक्षण (बाल सुधार गृह) में सौ से ज्यादा किशोर हैं जिसमें कई गंभीर अपराध के मामले में पकड़े गए.
प्रमुख वारदातें :
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वर्ष 2021
1 जून : राजधानी में चौक पुलिस ने बच्चों से मोटरसाइकिल चोरी करवाने वाले तीन शातिर वाहन चोरों को गिरफ्तार किया है. पुलिस गिरफ्त में गिरोह के सरगना सआदतगंज में करीमगंज निवासी मोहम्मद सूफियान, उसके पड़ोसी मोहम्मद आसिफ उर्फ मतीन अहमद व ठाकुरगंज में रज्जबगंज के मोहम्मद सोहेल ने बताया कि वह बच्चों का इस्तेमाल बाइक का लॉक तोड़वाने और लोगों पर नजर रखने में करता था. उसके गैंग में करीब 10 बच्चे हैं. चोरी की गई बाइक को बच्चों के घर में ही छुपाया जाता था. पुलिस ने तीन नाबालिग बच्चों को गिरफ्तार किया.
8 जून : लखनऊ के मड़ियांव पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जिसका सरगना नाबालिग है. यह गिरोह सड़कों पर घूम रहे लोगों के पास मौजूद मोबाइल और गले में सोने की चेन को लूट लेता था. आरोपी ने शहर की 30 से अधिक वारदातें कुबूलीं. उसके गैंग में अधिकांश नाबालिग बच्चे ही हैं.
वर्ष 2020
9 दिसम्बर : महराजगंज जिले के बांसपार गांव में 14 वर्षीय नाबालिग चाचा ने अपने छह वर्षीय भतीजे का अपहरण कर भतीजे के पिता दीपक गुप्ता से 50 लाख की फिरौती की मांगी की. फिरौती की रकम न मिलने पर उसने भतीजे की हत्या कर दी. अपराध के दलदल में घुसने की वजह उसने जो बातें बताईं वो चौंकाने वाली थीं. आरोपी ने पुलिस को बताया कि पीड़ित के माता-पिता उसे 'चोर' कहते थे और जब भी वह उनके बारे में शिकायत करता था तो वे उसे डांटते थे.
9 जून :नोएडा के सर्फाबाद गांव में 12 साल के एक लड़के ने पड़ोस में रहने वाली चार साल की एक बच्ची के साथ बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया. केस दर्ज कर पुलिस ने गिरफ्तार किया,
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NCRB के रिकार्ड चौंकाने वाले
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) ब्यूरो के आंकड़ों का सच बेहद चौंकाने वाले हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल करीब 34 हज़ार बच्चे क्राइम के मामले में गिरफ्तार हो रहे हैं. इन 34 हजार बच्चों में करीब दो हजार नाबालिग लड़कियां भी जुर्म में शामिल हैं. इनमें 29 हजार बच्चों पर आईपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है जबकि 5 हजार स्पेशल एंड लोकल लॉ में शामिल पाए गए हैं.
हैरानी की बात ये है कि क्राइम के दौरान पकडे गए बच्चों में ज्यादा तादाद 16 से 18 साल के बच्चों की है जिनका औसत 63.5 फीसदी है. 12 से 16 साल तक के बच्चों की तादात 33.2 फीसदी होती है जबकि क्राइम करने वाले 7 से 12 साल के बच्चे 3.3 फीसदी हैं. भारत में साल 2020 की जनगणना के अनुसार, किशोरों की संख्या 25 करोड़ से अधिक है. यह आंकड़ा देश की जनसंख्या का एक चौथाई हिस्सा है.
उम्र के अनुसार बदलती है बच्चों में गुस्से की प्रवृत्ति
एक रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों में ग़ुस्से की प्रवृत्ति उनकी उम्र के अनुसार बदलती जाती है. वर्ष 20119-2020 में इंडियन जर्नल साइकोलॉजिकल मेडिसिन की रिसर्च के अनुसार, लड़कों में लड़कियों के मुकाबले अधिक ग़ुस्सा देखने को मिलता है. इस रिसर्च में शामिल लोगों में जिस समूह की उम्र 16 से 19 वर्ष के बीच थी. उनमें ज्यादा ग़ुस्सा देखने को मिला जबकि जिस समूह की उम्र 20 से 26 वर्ष के बीच थी उनमें थोड़ा कम ग़ुस्सा था.
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि किशोर उम्र के बच्चों में युवा अवस्था के मुकाबले अधिक ग़ुस्सा देखने को मिलता है. इसी तरह लड़कों में लड़कियों के मुकाबले अधिक ग़ुस्सा देखने को मिलता है। हालांकि इसी रिसर्च के अनुसार 12 से 16 वर्ष आयु वर्ग की लड़कियों में करीब 19 प्रतिशत लड़कियां अपने स्कूल में किसी न किसी तरह के झगड़े में शामिल मिलीं हैं.
ऐसे पहचानें किशोर का बदलता व्यवहार