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झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर आत्महत्या के लिए उकसाने में सिमरन को नहीं मिली जमानत

धमकी व ब्लैकमेलिंग से तंग आकर एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी. वृंदावन कालोनी में रहने वाली कुछ लड़कियों के गैंग से परेशान होकर युवक ने यह कदम उठाया था. पिता ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया था.

Lucknow
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Published : Jun 9, 2023, 10:22 PM IST

लखनऊ :झूठे केस में फंसाकर जेल भिजवाने और ब्लैकमेलिंग से तंग आकर मोहनलालगंज इलाके के एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी. घटना के पीछे लड़कियों के एक गैंग को जिम्मेदार ठहराया गया था. युवक के पिता ने मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इस मामले में शुक्रवार को एडीजे रेखा शर्मा ने आरोपी सिमरन की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया. आरोपी पर गैंग बनाकर लोगों को ब्लैकमेल करने का आरोप है.

सरकारी वकील ने बताया कि वादी भंडारी लाल ने मोहनलालगंज थाने में 4 फरवरी को रिपोर्ट दर्ज कराई थी. आरोप लगाया था कि उसके पुत्र दिलीप कुमार ने आत्महत्या कर ली थी. वह मौके पर पहुंचे तो उनके बेटे की लाश मिली. बाद में उन्हें पता चला कि उसके बेटे की आत्महत्या के पीछे लड़कियों का एक गैंग है. इस गैंग की लड़कियां वृंदावन कालोनी में रहती हैं. गैंग ने उनके बेटे को अपने जाल में फंसा लिया था. वे धन उगाही करती थी. गैंग की सदस्यों सोनम, रोली, सिमरन और सोनी को जब पता चला कि दिलीप की शादी तय हो गई है तो उन्होंने दिलीप को धमकी देने के साथ ही परेशान करना शुरू कर दिया. वे सोनम से शादी न करने पर दिलीप को झूठे केस में फंसाने की धमकी दी रहीं थीं. इसी से परेशान होकर उनके बेटे ने आत्महत्या कर ली थी.

कोर्ट ने पुलिस से तलब की रिपोर्ट :कोविड के दौरान किश्तें न जमा करने पर वाहन को बिना नोटिस के उठाने और बिना जानकारी के नीलाम करने के आरोपों को लेकर हीरो फिनकॉर्प के शाखा प्रबंधक, कलेक्शन मैनेजर विक्रांत, अवध रिस्क मैनेजमेंट की निदेशक प्रतिभा सिंह, पिंकी सिंह और अतिरिक्त निदेशक अमित कुमार सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की मांग वाली अर्जी पर एसीजेएम कोर्ट ने आलमबाग थाने से रिपोर्ट तलब की है. मामले की अगली सुनवाई 14 जून को होगी. कोर्ट में वादी सौरभ मिश्रा की ओर से वकील वीर बहादुर श्रीवास्तव ने अर्जी देकर बताया कि वादी ने 19 अक्टूबर 2019 को मोटर साइकिल खरीदने के लिए विपक्षी से 63 हजार रुपये का ऋण लिया था. इसकी किश्तें वादी लगातार अदा कर रहा था, लेकिन कोविड की बीमारी के दौरान कुछ किश्ते नहीं दी जा सकीं, इस पर आरोपियों ने बिना किसी सूचना के वादी की गाड़ी को 0 मार्च को उठा लिया. बताया गया कि जब वादी ने बकाया पैसा जमा करके अपनी गाड़ी वापस लेने गया तो उसे बताया गया कि उसकी गाड़ी को नीलम कर दिया गया है.

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