लखनऊ:विजिलेंस और सीबीआई जांच में घिरे अवकाश प्राप्त आईएएस अफसर सत्येंद्र कुमार सिंह ने एलडीए उपाध्यक्ष रहते हुए 100 करोड़ रुपये का घोटाला समायोजन के एक मामले में किया था. नदी में समाहित जमीन के बदले एक बिल्डर को व्यवसायिक व ग्रुप हाउसिंग भूखंड कौड़ियों के दाम में दिए गए थे और इसकी रजिस्ट्री भी की गई थी. लंबे समय तक जांच किए जाने के बाद जांच रिपोर्ट के आधार पर इस समायोजन को निरस्त किया गया. 100 करोड़ कीमत के पांच भूखंड बिल्डर को केवल 1.10 करोड़ रुपए की कीमत पर दिए गए हैं.
लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव पवन कुमार गंगवार ने बताया कि मेसर्स राज गंगा डेवलपर्स पार्टनर संचित अग्रवाल पुत्र अशोक कुमार अग्रवाल ने 30 अक्टूबर 2006 को प्रार्थना पत्र दिया था कि गोमती नगर के ग्राम-मलेशेमऊ के क्षेत्रफल 6070 वर्गमीटर के बदले इतने ही क्षेत्रफल की अविकसित भूमि प्राधिकरण की योजना में किसी अन्य जगह उपलब्ध कराई जाए. ग्राम-मलेशेमेऊ की भूमि बन्दोबस्ती अभिलेखों में महादेव प्रसाद पुत्र पुत्तू लाल के नाम दर्ज थी. इसे महादेव प्रसाद ने 19 जनवरी को पंजीकृत विलेख के माध्यम से राज गंगा डेवलपर्स के पक्ष में बेचा. विक्रय पत्र के आधार पर राज गंगा डेवलपर्स का नामांतरण भी राजस्व अभिलेखों में हो गया.
एलडीए ने शहीद पथ, गोमती नगर विस्तार योजना में मलेशेमऊ सहित अन्य गांवों की 1146.75 एकड़ भूमि का अधिग्रहण वर्ष 2000 में किया था. इसमें ग्राम-मलेशेमऊ का खसरा संख्या-673क गोमती में होने के कारण इसे शामिल नहीं किया गया. 6070 वर्गमीटर भूमि के बदले राज गंगा डेवलपर्स को प्राधिकरण की गोमती नगर विस्तार योजना के सेक्टर-4 में 6070 वर्गमीटर भूमि समायोजित कर दी गई. इसके एवज में फर्म की तरफ से 25 लाख रूपये प्राधिकरण में जमा कराए. 08 मई 2015 को तत्कालीन उपाध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह ने राज गंगा डेवलपर्स द्वारा पूर्व में जमा कराई गई धनराशि को समायोजित कर दिया तथा वाह्य विकास शुल्क वर्तमान दर से लेते हुए पूर्व आवंटित भूखंड की रजिस्ट्री राज गंगा डेवलपर्स के पक्ष में करने को लेकर आर्डर कर दिया. राज गंगा डेवलपर्स ने 84 लाख 98 हजार रुपये जमा कराए और भूखंडों की रजिस्ट्री अपने पक्ष में कराई.