लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अपराध को लेकर विपक्ष योगी सरकार पर लगातार हमलावर है. विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए योगी सरकार अपने पहले की सरकार के आंकड़े का इस्तेमाल करती है और कहती है कि पिछली सरकारों के मुकाबले योगी सरकार की स्थिति बेहतर है.
19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. उत्तर प्रदेश में साल 2016 में जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी तब राज्य में साल भर में 4,94,025 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे. एनसीआरबी यानि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के ये आंकड़े योगी सरकार के सामने ये आंकड़े एक बड़ी चुनौती थी. साल 2017 में राज्य में 6 लाख 82 मामले दर्ज किए गए. लेकिन साल 2018 में योगी सरकार की क्राइम के बारे में जीरो टॉलरेंस के वादे का असर दिखने लगा. इस साल अपराध के आंकड़े घटकर 5 लाख 85 हजार 157 हो गए. लेकिन साल 2019 में तस्वीर एक बार फिर बदल गई और क्राइम का ग्राफ तेजी से आगे बढ़ गया. राज्य में साल 2019 में अपराध के 6 लाख 28 हजार 578 मामले दर्ज हो गए.
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक बीएसपी के शासनकाल में 5783 अपराध हर रोज होते थे. वहीं जब समाजवादी पार्टी की सरकार आयी तो यह बढ़कर 6433 हो गए. अखिलेश के शासनकाल में दंगे भी खूब हुए. हालांकि जब योगी आदित्यनाथ सत्ता में आए तब दंगों पर लगाम लगाने में वो कामयाब रहे.
राज्य में जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी और अखिलेश यादव सूबे के मुख्यमंत्री थे तब खाकीधारी भी सुरक्षित नहीं थे. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक अखिलेश यादव के शासन के दौरान 1200 से ज्यादा बार पुलिस वालों पर हमले हुए. वहीं बीएसपी के शासनकाल के दौरान 547 बार खाकी पर हमले हुए थे.
साल 2019 के एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश 12.2 फीसदी अपराधों के साथ देश में पहले स्थान पर रहा. दूसरे नंबर पर 9.9 फीसदी के साथ महाराष्ट्र और तीसरे नंबर पर केरल रहा.
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक समाजवादी पार्टी की तुलना में योगी सरकार के शासनकाल में महिलाओं के प्रति अपराधों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. साल 2019 में देश में जितना अपराध महिलाओं के खिलाफ दर्ज किया गया उसमें से 14.7 फीसदी उत्तर प्रदेश में दर्ज हुआ.