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नहीं आया ई-टेंडर, अब कैसे होगा गोवंशों का पालन-पोषण, जानें पूरा मामला

प्रदेश में बढ़ते भूसे के दामों से गौशालाओं का संचालन मुश्किल हो गया है. भूसा खरीद तो दूर विभाग कीमतों के निर्धारण का टेंडर तक नहीं कर पा रहे हैं, जबकि नई व्यवस्था के तहत गोवंशों के लिए ई-टेंडर से भूसा खरीदना है.

गौशालाओं का संचालन मुश्किल
गौशालाओं का संचालन मुश्किल

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Published : Jun 7, 2022, 12:40 PM IST

लखनऊ:बढ़ते भूसे के दामों से गौशालाओं का संचालन मुश्किल हो गया है. भूसा खरीद तो दूर विभाग कीमतों के निर्धारण का टेंडर तक नहीं कर पा रहे हैं, जबकि नई व्यवस्था के तहत गौशालाओं में गोवंशों के लिए ई-टेंडर से भूसा खरीदना है. राजधानी का हाल यह है कि 8 ब्लॉक में सिर्फ बीकेटी में दर निर्धारण के तीन टेंडर डाले गए हैं. इससे गोवंश का पेट भरना मुश्किल दिख रहा है, क्योंकि भूसे का दाम 12 से 15 रुपये प्रति किलो तक हैं. सरकार प्रति गोवंश के भरण-पोषण के लिए 30 रुपये देती है, जो चारा व दाना के साथ एक समय भरपेट के लिए भी पर्याप्त नहीं है.

ऐसे में भूषा दान लेकर गोवंशों का पेट भरा जाएगा. जिले को 31000 क्विंटल भूसा दान देने का लक्ष्य मिला है. मुख्य विकास अधिकारी रिया केजरीवाल ने बैठक की तो 1,592 क्विंटल भूषा दान में मिलना बताया गया. इसका उन्होंने बीडीओ व ईओ को लक्ष्य सौंपा है. बता दे कि दुधारु गोवंशों को दो बार व सामान्य को एक बार भूसा खिलाया जाता है. सामान्य गोवंश की बात करें तो एक समय में 4 किलो भूसा, 5 किलो हरा चारा और एक किलो दाना खाते हैं, जो डेढ़ सौ रुपये तक पड़ता है. दो बार में इससे अधिक खर्च आता है. हरा चारा 12 से 15 रुपये और दाना 25 रुपये किलो तक बिक रहा है. इसलिए गौशाला में सिर्फ भूसा ही खिलाया जाता है.

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जब इस पूरे मामले में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. देवेश कुमार शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ई-टेंडर न होने तक पहले की तरह भूसा खरीदा जाएगा. इसका हर माह भुगतान करेंगे. भूसा दान में भी किसानों से लिया जाएगा. इसका लक्ष्य सौंपा गया है, इसलिए गोवंश के भरण-पोषण में समस्या नहीं आएगी.

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