लखनऊः अपर सत्र न्यायाधीश दुर्ग नरायन सिंह ने सास और साले के बेटे-बेटी की बांके से वार कर नृशंस हत्या मामले के आरोपी बुद्धा को फांसी की सजा सुनाई है. कोर्ट ने इसके साथ ही फांसी की सजा की पुष्टि के लिए मामले की समस्त पत्रावली अविलंब हाईकोर्ट को भेजने का आदेश भी दिया है.
कोर्ट ने इन धाराओं के तहत सुनाई सजा
कोर्ट ने आरोपी बुद्धा को आईपीसी की धारा 302/34 में मौत की सजा सुनाई है. साथ ही उस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जबकि आईपीसी की धारा 307/34 हत्या का प्रयास करने पर दस साल के कठोर कारावास और दस हजार रुपये का जुर्माना, आईपीसी की धारा 323/34 मारपीट करने के आरोप में एक साल सजा, धारा 452/34 हमला करने के इरादे से घर घुसने के तहत सात साल का कठोर कारावास और दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.
वहीं अभियुक्त को शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25 में भी दो साल का कठोर कारावास और दो हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जुर्माने की आधी राशि राकेश और शेष आधी धनराशि मृत बच्चों के पिता रामचंद्र को प्रदान की जाए.
मासूमों के सिर और चेहरे पर बांके से किया था प्रहार
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि दोषी बुद्धा का यह आपराधिक कृत्य न्यायिक और सामाजिक अन्तःकरण को क्षुब्ध और झकझोर देने वाला है. उसने अपनी वृद्ध सास सुरसती देवी के सिर, गर्दन और चेहरे पर बांके से कई बार वार किया था. अपने साले रामचंद्र के दस साल के मासूम बेटे सूरज और छह साल की अबोध बच्ची शिवांकी के सिर व चेहरे पर भी कई वार किए थे, इससे उनके दिमाग व चेहरे पर हड्डी की गहराई तक गंभीर जख्म पाए गए.