लखनऊः सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ गैंगरेप के आरोपों को सही पाए जाने के बाद एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही इस मामले में दो और अभियुक्तों आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने कहा है कि तीनों ही अभियुक्तों के लिए उम्र कैद का आशय जीवन प्रयंत कारावास से होगा. वहीं, कोर्ट ने तीनों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने कहा कि जुर्माने की समस्त धनराशि पीड़िता की नाबालिग बेटी को दी जाएगी. क्योंकि इस मामले में पीड़िता का आचरण ऐसा नहीं रहा कि उसे जुर्माने का भुगतान किया जाए. उसकी बड़ी बेटी भी पक्षद्रोही घोषित हो चुकी है. ऐसे में उसकी छोटी बेटी ही वास्तव में पीड़िता है, जिसे पुर्नवास की आवश्यकता है. लिहाजा अर्थदंड की सम्पूर्ण धनराशि उसे ही दिया जाएगा.
गायत्री प्रजापति ने पद का दुरुपयोग किया
विशेष जज ने अपने 72 पन्ने के फैसले में कहा कि अभियुक्तों द्वारा एक असहाय महिला जिसका पति उसे 14 साल पहले छोड़कर चला गया था, उसकी कमजोर परिस्थिति का लाभ उठाया. उसे खनन-पट्टे का लालच दिया और लखनऊ बुलाया. फिर उसके और उसकी नाबालिग बच्ची के साथ भी सामूहिक दुष्कर्म किया. ऐसे में अपराध की गंभीरता और बढ़ जाती है. जबकि एक मंत्री होने के नाते अभियुक्त गायत्री प्रसाद प्रजापति का दायित्व था कि वह जनता की सेवा करें. लेकिन उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया.
सजा सुनते ही गायत्री प्रजापति का उतरा चेहरा
सजा सुनने के लिए गायत्री व दोनों अन्य अभियुक्त अदालत में मौजूद रहे. सजा सुनते ही गायत्री प्रजापति चेहरा उतर गया. वहीं, अदालत का फैसला आने के बाद तीनों को सजा भुगतने के लिए जेल भेज दिया गया. उल्लेखनीय है कि तीनों को विशेष अदालत ने 10 नवम्बर को ही दोषी करार दे दिया था, जबकि अन्य आरोपी विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल व रुपेश्वर उर्फ रुपेश को साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था.
अभियुक्तों ने कम सजा देने की प्रार्थना की
सजा के बिन्दु पर बहस के दौरान तीनों अभियुक्तों की ओर से उदार रुख अपनाने की मांग कोर्ट से की गई और प्रार्थना की गई कि उन्हें कम से कम सजा दी जाए. वहीं अभियोजन पक्ष ने तीनों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग करते हुए कहा कि अभियुक्त गायत्री प्रजापति तत्कालीन मंत्री था, लिहाजा उसके द्वारा किये गए अपराधिक कृत्य से पूरे समाज में गलत संदेश गया. गायत्री प्रजापति ने खुद को कानून से बचाने के लिए एफआईआर दर्ज होने के बाद भी सभी गलत-सही जतन किए. विवेचना को प्रभावित करना और यहां तक कि ट्रायल को भी प्रभावित करने का प्रयास किया. हालांकि सजा के खिलाफ तीनों के पास हाईकोर्ट में अपील दाखिल करके विशेष अदालत के इस फैसले को चुनौती देने का विकल्प है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई थी एफआईआर
18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य 6 अभियुक्तों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में गैंगरेप, जानमाल की धमकी व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की याचिका पर दिया था. पीड़िता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए, अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का आरोप लगाया था. इसके बाद गायत्री समेत सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था.