लखनऊ : गोमती नदी के किनारे लक्ष्मण टीला स्थित लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर व मस्जिद विवाद प्रकरण में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की निगरानी याचिका पर आगमी 18 जनवरी के लिए अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. अदालत ने कहा है कि इस दौरान पक्षकार अपनी-अपनी लिखित बहस कोर्ट में दाखिल कर सकते हैं.
मामले में हिदू महासभा की ओर से शिशिर चतुर्वेदी द्वारा पूर्व में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर वकील शेखर निगम ने दलील दी कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने तत्कालीन अधिकृत निगरानीकर्ता को बाद में उनके पद से हटा दिया था. लिहाजा उनकी ओर से दाखिल निगरानी याचिका पोषणीय नहीं है. जबकि उक्त प्रार्थना पत्र के विरोध में सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की ओर से वकील मुनव्वर सुल्तान ने दलील दी है कि निचली अदालत का आदेश त्रुटि पूर्ण है व निचली अदालत ने मामले के तथ्यों पर गौर किए बिना ही हिन्दू महासभा का वाद निरस्त करने संबंधी उनके आदेश 7 नियम 11 के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया. मांग की गई है कि तथ्यों के आधार पर निगरानी मंजूर कर निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाए.
Court reserves verdict : मंदिर-मस्जिद विवाद की निगरानी याचिका पर कोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित
लक्ष्मण टीला स्थित मंदिर-मस्जिद विवाद (Temple mosque dispute at Laxman Tila) मामले की निगरानी याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित (Court reserves verdict) कर लिया है. हालांकि इस दौरान कोर्ट ने पक्षकारों को अपनी-अपनी लिखित बहस कोर्ट में दाखिल करने की बात कही है. इस मामले में अदालत आगामी 18 जनवरी को आदेश पारित सकती है.
वहीं राज्य सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) रीतेश रस्तोगी द्वारा सुन्नी वक्फ बोर्ड की दलीलों का का विरोध किया गया है. अदालत में अभी तक किसी भी पक्षकार की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई है. लिहाजा अदालत ने आदेश के लिए 18 जनवरी की तिथि नियत करते हुए कहा है कि पक्षकार इस बीच लिखित बहस दाखिल कर सकते हैं. अदालत ने गत 21 नवंबर के अपने आदेश में कहा था कि सभी प्रार्थना पत्रों का खंड-खंड में विचार कर निस्तारण किया जाना विधिक दृष्टि से न्यायोचित नहीं है. न्यायालय ने कहा था कि पक्षकारों की ओर से दिए गए समस्त प्रार्थना पत्रों का निस्तारण निगरानी के साथ-साथ किया जाना न्याय संगत प्रतीत होता है. अदालत गुण दोष के आधार पर आगामी 18 जनवरी को आदेश पारित करेगी.