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अवैध वसूली का मामला : कोर्ट ने खारिज की रेलवे के विजिलेंस इंस्पेक्टर की जमानत अर्जी

सीबीआई के विशेष जज ने रेलवे के विजिलेंस इंस्पेक्टर की जमानत अर्जी खारिज कर दी. आरोप है कि विजिलेंस इंस्पेक्टर ने ऑनलाइन तरीके से वादी से रिश्वत ली थी.

लखनऊ कोर्ट
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Published : May 24, 2022, 10:58 PM IST

लखनऊ :सीबीआई के विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने 20 हजार की ऑनलाइन रिश्वत लेने के मामले में निरुद्ध रेलवे के विजिलेंस इंस्पेक्टर गगन जायसवाल की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया इसके अपराध को गंभीर करार दिया है.

29 जनवरी 2022 को इस मामले की शिकायत लखनऊ में तैनात टीटीई आशाराम ने नई दिल्ली में नार्थन रेलवे के चीफ विजिलेंस ऑफिसर अश्वनी कुमार के समक्ष दर्ज कराई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, 26 जनवरी 2022 को लखनऊ से दिल्ली तक चलने वाली गोमती एक्सप्रेस में उनकी ड्यूटी थी. कानपुर से ट्रैफिक नार्थ सेंट्रल रेलवे, प्रयागराज के विजिलेंस इंस्पेक्टर गगन जायसवाल व प्रवीण आनंद उनके पास आए और उनकी तलाशी ली.

इसके बाद इंस्पेक्टर गगन जायसवाल ने उनसे कोच संख्या D1, D2 व D3 चेक कराने को कहा. इन डिब्बों में पुलिस के जवान यात्रा कर रहे थे, जिनके पास टिकट नहीं था. इन दोनों इंस्पेक्टरों ने जब पुलिस कर्मियों से टिकट बनाने के लिए कहा, तो वह किराया देने के लिए तैयार नहीं हुए. इस पर दोनों विजिलेंस इंस्पेक्टरों ने पुलिस कर्मियों को नौकरी जाने की धमकी दी. फिर कहा कि यदि इससे बचना चाहते हो, तो तुरंत 25 हजार रुपये का इंतजाम कर दो. इस मामले में वादी का कहना था कि उसके पास पैसे नहीं थे.

इस पर विजिलेंस इंस्पेक्टर प्रवीण आनंद ने एक मोबाइल नंबर दिया और उस पर ऑनलाइन पेमेंट करने को कहा. तब वादी के बेटे ने गुगल-पे के जरिए उस नंबर पर 10 हजार रुपये भेज दिए. 27 जनवरी 2022 को दिल्ली से लखनऊ लौटते समय विजिलेंस इंस्पेक्टर गगन जायसवाल ने धमकी दी कि शेष 15 हजार रुपये नहीं दिए, तो उसकी नौकरी जाएगी. वादी ने फिर से अपने बेटे से ऑनलाइन 10 हजार रुपये ट्रांसफर कराए. इस मामले में 6 अप्रैल को सीबीआई की विशेष अदालत ने अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था.

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