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पशुपालन घोटाले के अभियुक्तों की आरोप मुक्त करने की मांग खारिज, जमानत अर्जी नामंजूर

पशुपालन घोटाला मामले (animal husbandry scam case) में कोर्ट ने अभियुक्तों की आरोप मुक्त करने की मांग खारिज कर दी है. साथ ही एक अभियुक्त की जमानत अर्जी भी की नामंजूर कर दी है.

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Published : Oct 15, 2022, 10:49 PM IST

लखनऊ:फर्जी कागजात तैयार करके, धोखाधड़ी से पशुपालन विभाग में आटा, दाल, गेंहू और शक्कर की सप्लाई देने के नाम पर व्यापारी का करोड़ों रुपये गबन करने और भ्रष्टाचार करने के अभियुक्त उमेश मिश्र, रघुवीर प्रसाद और एके राजीव उर्फ अखिलेश कुमार की ओर से दाखिल की गईं. अलग-अलग आरोपों से मुक्त करने की मांग वाली अर्जियों को भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश रमाकांत प्रसाद ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले के अभियुक्त अनिल राय की ओर से दी गई जमानत अर्जी को भी नामंजूर कर दिया है.

कोर्ट में सरकारी वकीलों ने तीनों अभियुक्तों की ओर से अलग-अलग दी गई डिस्चार्ज अर्जियों और अनिल राय की जमानत अर्जी का विरोध किया. उन्होंने कहा कि इंदौर के व्यापारी और मामले के वादी मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिंकू ने हजरतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि अप्रैल 2018 में उनके छोटे भाई के दोस्त वैभव शुक्ला अपने साथी संतोष शर्मा के साथ उनके इंदौर स्थित आवास पर आए और बताया कि पशुपालन मंत्री के करीबी और उप निदेशक पशुपालन एसके मित्तल आपको पार्टी हित में गेहूं, शक्कर, आटा और दाल की सप्लाई देना चाहते हैं. जिस पर विश्वास करके वादी ने दोनों अभियुक्तों को अपनी कम्पनी का प्रोफाइल और टर्न ओवर के कागज दे दिए. कुछ दिनों के बाद दोनों पशुपालन से जारी टेंडर फार्म लेकर आए. उन्होंने वादी और उसकी पत्नी के हस्ताक्षर कराए. उन्होंने रेट उप निदेशक द्वारा भरने की बात कही.

आरोप है कि इस सप्लाई के कार्य के लिए अभियुक्तों ने वादी से कुल नौ करोड़ 72 लाख 12 हजार रुपये लिए और कथित मित्तल से मुलाकात कराई. साथ ही, टेंडर मिलने की सूचना भी दी लेकिन जब वादी ने ऑन लाइन टेंडर की स्थिति देखी तो पता चला कि उसे टेंडर नहीं मिला है और पता चला कि जो व्यक्ति एसके मित्तल के नाम से मिलता था, वह आशीष राय नाम का जालसाज है, जिसने अपने साथी मोंटी गुर्जर, रूपक राय, संतोष मिश्रा, अमित मिश्रा, उमाशंकर तिवारी, रजनीश दीक्षित, डीवी सिंह, पशुपालन मंत्री के निजी सचिव धीरज कुमार, राज्यमंत्री पशुपालन के कार्यालय के उमेश मिश्र और अनिल राय समेत अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर कूटरचित, फर्जी दस्तावेज तैयार करके करोड़ो की धोखाधड़ी की है.

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