लखनऊ : चिकित्सा के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में स्टूडेंट्स को सेवा करने का मौका मिला है. यहां तक कि उन्हें ईश्वर का दर्जा दिया गया है. एक चिकित्सक और मरीज के बीच बेहतर सामंजस्य होना चाहिए. भविष्य में अपने मरीजों के साथ इस तरह काम करें कि मरीज हक से आपसे बात कर सके. युवा डॉक्टर हमेशा इस बात को याद रखें कि मरीज बीमार होता है तभी वह इलाज के लिए आता है. इसलिए मन में करुणा का भाव रखें. डाॅ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में शिक्षा, कौशल एवं चिकित्सा का सामंजस्य है. संस्थान ने बहुत कम समय में अपने अस्तित्व को वजूद दिया है. यह बातें शुक्रवार को लोहिया संस्थान के प्रथम दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहीं. इस दौरान उन्होंने डाॅ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में पदक और गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं दीं.
आज का समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का : राज्यपाल ने कहा कि आने वाले दिनों में संस्थान में कई नए विभागों का संचालन शुरू होने जा रहा है. आज का समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का है. ऐसे में संस्थान को प्रशिक्षण के लिए तैयार करें. गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं को पूरा करने के लिए भी आगे बढ़ें. आज केंद्र और राज्य सरकार लगातार चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया गया है. इसके तहत एमबीबीएस सीटों को भी बढ़ाया गया है. आयुष्मान भारत योजना के तहत हजारों लोग लाभान्वित हो रहे हैं. हमारे देश में कई बीमारी दूषित पानी से होती है. इसलिए जरूरी है कि लोग भी जागरूक रहें और आसपास साफ सफाई का ख्याल रखें. चिकित्सा सेवा से मूल्यवान और कोई सेवा नहीं है. आप सभी युवा चिकित्सकों को समाज, राज्य, राष्ट्र और मानव सेवा को बढ़ावा देना है.
प्रदेश में विशेषज्ञों की कमी :चिकित्सा एवं शिक्षा स्वास्थ्य के राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश को डॉक्टरों की बहुत आवश्यकता है. खासकर स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशियलिट डॉक्टरों की जरूरत है. इस बात को स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है कि प्रदेश में विशेषज्ञों की कमी है. इस महीने लगातार कई दीक्षांत समारोह आयोजित हुए. पहले पीजीआई फिर केजीएमयू और अब लोहिया संस्थान का पहला दीक्षांत समारोह मनाया जा रहा है. तीनों ही बड़े संस्थानों के एक ही विभाग के स्टूडेंट्स को कई मेडल प्राप्त हुए हैं.
मेडल से मरीज का इलाज नहीं कर सकते : इंस्टीटयूट ऑफ लिवर एंड बीलिएरी साइंसेज (नई दिल्ली) अध्यक्ष राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी (भारत) के कुलाधिपति एवं निदेशक पद्मभूषण प्रो. शिव कुमार सरीन ने कहा कि "जब जीत की जिद हो जाए तब घाव मायने नहीं रखता, जीतना संभव हो जाता है". जीवन में समय बर्बाद किए बिना सफलता प्राप्त की जा सकती है. एक लाख रुपये की कीमत भी एक मिनट नहीं है. एक एक मिनट बहुत मायने रखता है. स्टूडेंट्स के लिए उन्होंने कहा कि स्पीड बहुत महत्वपूर्ण है. कई स्टूडेंट्स ने एक से अधिक मेडल प्राप्त किए हैं, लेकिन इन मेडल से आप मरीज का इलाज नहीं कर सकते हैं. जब एक मरीज आपके पास आएगा तो उसे बढ़िया इलाज की जरूरत होगी. उस मरीज का इलाज आप मेडल से नहीं कर सकते. उसके इलाज के लिए आपको एक मानवीय डॉक्टर बनना होगा. एक अच्छे डॉक्टर की खुशबू हर जगह जाती है. डॉक्टर के अन्दर मानवता जरूर होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि एक ऐसा मंच होना चाहिए जहां ऐलोपैथ, आयुर्वेद, यूनानी और होमियोपैथी विधा एक साथ मिलकर काम करें. अगर ऐसा होगा तो भविष्य में प्रदेश में और बेहतर चिकित्सा व्यवस्था होगी. एक ऐसा संस्थान बनाए जहां इनोवेशन, चिकित्सा और शिक्षा हो.